सोमवार को पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। वहीं सुनवाई में केंद्र सरकार ने इस मामले को लेकर यह साफ कर दिया है कि वह मामले पर एफिडेविट दाखिल नहीं करने जा रही है। साथ ही केंद्र सरकार ने इसकी वजह भी बताई हैं। दरअसल, ऐसे मामलों में एफिडेविट दाखिल नहीं किया जा सकता। लेकिन इसके बजाय वह जासूसी के आरोपों की जांच के लिए पैनल गठित करने को राजी है। आपको बता दें फिलहाल कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। वहीं अगले 2-3 दिनों में इस पर आदेश सुनाया जाएगा।
वहीं खास बात तो यह हैं कि चीफ जस्टिस रमना ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान सख्ती भी दिखाई। उन्होंने कहा कि कोर्ट जानना चाहता है कि आखिर सरकार इस मामले पर क्या कर रही है। दरअसल, इससे पहले की सुनवाई में केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करने के लिए दो बार वक्त लिया था, लेकिन अब उसने सीधे तौर पर इनकार कर दिया।
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के अंत में फैसला सुरक्षित रख लिया। कहा गया कि पेगासस जासूसी मामले में SIT गठित होगी या न्यायिक जांच होगी इसपर फैसला लिया जाएगा। वहीं अगले दो-तीन दिनों में इस पर फैसला होगा। कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी उन्हें एफिडेविट फाइल करने पर फिर विचार करना चाहिए। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जासूसी के लिए किसी खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल हुआ या नहीं, यह पब्लिक डोमेन का मामला नहीं है। इस मामले की स्वतंत्र डोमेन विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा जांच की जा सकती है और इसे सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जा सकता है।
वहीं बता दें पेगासस मुद्दे पर केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। साथ ही इस दौरान CJI रमना ने कहा कि आप बार-बार उसी बात पर वापस जा रहे है। हम जानना चाहते हैं कि सरकार क्या कर रही है। पब्लिक डोमेन वाले तर्क पर कोर्ट ने कहा कि हम राष्ट्रीय हित के मुद्दों में नहीं जा रहे हैं। हमारी सीमित चिंता लोगों के बारे में है। केंद्र सरकार ने समिति बनाने की बात कही इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समिति की नियुक्ति कोई मुद्दा नहीं है। बल्कि हलफनामे का उद्देश्य यह है कि पता चले कि आप (सरकार) कहां खड़ी है।