भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए CIIL और Koo App ने मिलाया हाथ

Akanksha
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राष्ट्रीय, 06 दिसंबर, 2021: सोशल मीडिया के दुरुपयोग को रोकने और भाषा के उचित इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए मैसूर स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज (CIIL) ने भारत के बहुभाषी माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म Koo App की होल्डिंग कंपनी बॉम्बिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड के साथ एक समझौते (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार द्वारा भारतीय भाषाओं के विकास के सामंजस्य के लिए स्थापित की गई CIIL अब Koo App के साथ संयुक्त रूप से काम करेगी, ताकि इसकी कंटेंट मॉडरेशन नीतियों को मजबूत करने के साथ ही यूज़र्स को ऑनलाइन सुरक्षित करने में मदद मिल सके। यह समझौता यूजर्स को ऑनलाइन दुर्व्यवहार, बदमाशी और धमकियों से बचाने की दिशा में काम करेगा और एक पारदर्शी और अनुकूल कसो सिस्टम का निर्माण करेगा।

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इस समझौते के जरिये CIIL शब्दों, वाक्यांशों, संक्षिप्त रूपों और संक्षिप्त शब्दों सहित अभिव्यक्तियों का एक कोष तैयार करेगा, जिन्हें भारत के संविधान में आठवीं अनुसूची की 22 भाषाओं में आक्रामक या संवेदनशील माना जाता है। जबकि Koo App कोष बनाने के लिए प्रासंगिक डेटा साझा करेगा और इंटरफेस बनाने के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगा जो सार्वजनिक पहुंच के लिए कोष की मेजबानी करेगा। यह सोशल मीडिया पर भारतीय भाषाओं के जिम्मेदार इस्तेमाल को विकसित करने के लिए एक दीर्घकालिक समझौता है और यह यूजर्स को सभी भाषाओं में एक सुरक्षित और व्यापक नेटवर्किंग अनुभव प्रदान करके दो साल के लिए वैध होगा।

CIIL और Koo App के इस संयुक्त अग्रणी कार्य का उद्देश्य भारतीय भाषाओं में शब्दों और अभिव्यक्तियों के ऐसे शब्दकोश विकसित करना है, जिन्हें आक्रामक, अपमानजनक या आपत्तिजनक माना जाता है और इन भाषाओं में कुशल कंटेंट मॉडरेशन को सक्षम किया जा सके। भारतीय संदर्भ में इस तरह की पहल को पहले कभी लागू नहीं किया गया था।
इस समझौते का स्वागत करते हुए CIIL के निदेशक प्रो. शैलेंद्र मोहन ने कहा कि भारतीय भाषाओं के यूजर्स को Koo मंच पर संवाद करने में सक्षम बनाना, वास्तव में समानता और बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार की अभिव्यक्ति है, जो हमारे बहुत सम्मानित संवैधानिक मूल्य हैं।

CIIL और Koo के बीच समझौता ज्ञापन यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक प्रयास है कि सोशल मीडिया का इस्तेमाल, विशेष रूप से Koo App, बोलने/लिखने की स्वच्छता के साथ आता है और यह अनुचित भाषा और दुरुपयोग से मुक्त है। सोशल मीडिया पोस्ट के लिए सुखद और सुरक्षित वातावरण बनाने की दिशा में Koo की इस पहल को प्रोत्साहित करते हुए प्रो. मोहन ने कहा कि Koo App के प्रयास सराहनीय हैं। इसलिए, CIIL कोष के माध्यम से भाषा परामर्श प्रदान करेगा और जिम्मेदार एवं स्वच्छ सोशल मीडिया चर्चा को हासिल करने के लक्ष्य को साकार करने में Koo टीम के हाथों को मजबूत करेगा।

इस सहयोग पर प्रकाश डालते हुए Koo App के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अप्रमेय राधाकृष्ण ने कहा, “एक बेहतरीन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में Koo भारतीयों को कई भाषाओं में जुड़ने और चर्चा में सक्षम बनाता है। हम ऑनलाइन इको सिस्टम को बढ़ाकर अपने यूजर्स को सशक्त बनाना चाहते है, ताकि दुरुपयोग को प्रभावी तरीके से रोका जा सके। हम चाहते हैं कि हमारे यूजर्स भाषाई संस्कृतियों के लोगों के साथ सार्थक रूप से बातचीत करने के लिए मंच का लाभ उठाएं। हम इंटरनेट यूजर्स के लिए परस्पर दुनिया को अधिक सुरक्षित, भरोसेमंद और विश्वसनीय बनाने के लिए और इस कोष के निर्माण के लिए प्रतिष्ठित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियन लैंग्वेजेज के साथ साझेदारी करते हुए प्रसन्न हैं।”

देसी भारतीय भाषाओं में स्वयं की अभिव्यक्ति के लिए एक समावेशी मंच के रूप में Koo App वर्तमान में नौ भाषाओं में अपनी बेहतरीन सुविधाएँ प्रदान करता है और जल्द ही सभी 22 आधिकारिक भारतीय भाषाओं को कवर करने के लिए इसका विस्तार करेगा। CIIL के साथ इस समझौते के माध्यम से खासकर सोशल मीडिया पर, Koo App मूल भाषाओं में इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों के तर्क, व्याकरण और संदर्भ की गहरी और सूक्ष्म समझ विकसित करने के साथ ही आपत्तिजनक शब्दों और वाक्यांशों की पहचान करने में मदद करेगा, जो कलह और ऑनलाइन बदमाशी का कारण बन सकते हैं। यह समझ माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर कंटेंट मॉडरेशन के काम को बढ़ाएगी और यूजर्स को उनकी संबंधित भाषाओं में अधिक आकर्षक सामग्री को क्यूरेट करने में सहायता करेगी और इस प्रकार भारत के अग्रणी बहु-भाषा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में Koo की स्थिति को मजबूत करेगी।

केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान (सीआईआईएल) के बारे में: CIIL की स्थापना भारत सरकार द्वारा भारतीय भाषाओं के विकास के सामंजस्य, वैज्ञानिक अध्ययनों के माध्यम से भारतीय भाषाओं की जरूरी एकता लाने, अंतर्विषयक शोध को बढ़ावा देने, भाषाओं के पारस्परिक ज्ञान में योगदान करने और इस प्रकार भारत के लोगों के भावनात्मक एकीकरण में योगदान देने के लिए की गई थी।

कू (Koo) के बारे में: Koo की स्थापना मार्च 2020 में भारतीय भाषाओं के एक बहुभाषी, माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म के रूप में की गई थी और अब इसके डेढ़ करोड़ से ज्यादा यूज़र्स हो गए हैं। इनमें काफी प्रतिष्ठित लोग भी शामिल हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों के लोग, तमाम भारतीय भाषाओं में मौजूद इस मंच के जरिये मातृभाषा में अपनी अभिव्यक्ति कर सकते हैं। एक ऐसे देश में जहां भारत के सिर्फ 10% लोग अंग्रेजी बोलते हैं, एक ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की बेहद जरूरत है जो भारतीय यूज़र्स को भाषा का व्यापक अनुभव दे सके और उन्हें जोड़ने में मदद कर सके। Koo भारतीय भाषाओं को पसंद करने वाले लोगों की आवाज़ के लिए एक मंच प्रदान करता है।