चंडीगढ़ : जब रेडियो का अविष्कार हुआ तो लोग अचंभित थे की एक डब्बे में से कोई इंसान कैसे बोल सकता है धीरे धीरे टीवी आया जहाँ लोग नाचते गाते और बोलते नज़र आये और फिर बिग स्क्रीन यानि सिनेमा जिसने हर इंसान को अपनी माँ के बाद दूसरी माँ नज़र आयी वो है सिनेमा, जिसने लोगो को अपना कायल बना दिया और लोग हर सप्ताह शुक्रवार का इंतज़ार करने लगे, लेकिन अब वक़्त बदला और लोगों को नया प्लेटफार्म मिला वो है वेब सीरीज या ओटीटी सिनेमा जैसे नेटफ्लिक्स, ऐमज़ॉन प्राइम और मैक्स प्लेयर, जिसने लोगो के सोचने का नजरिया बदल दिया और वो नजरिया काफी बोल्ड और रियल लगा यह कहना था 13वें ग्लोबल फिल्म फेस्टिवल नोएडा के तीसरे दिन एएएफटी यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. संदीप मारवाह का। उन्होंने आगे कहा कि अब लोग सीरीज का इंतज़ार करते है और सिनेमा को लगभग कुछ समय के लिए भुला ही दिया है और कोरोना की वजह से इसी और भी लोकप्रियता मिली है। इस सेमिनार में संदीप मारवाह के साथ फिल्म मेकर केशव पन्नेरीय, फिल्म एक्टर अशनूर कौर, एमइएससी के सीईओ मोहित सोनी, फिल्म समीक्षक कोमल नहाटा, फिल्म मेकर मासूम सिंह, फिल्म निर्माता राहुल मित्रा, फिल्म मेकर संजय प्रसाद और ग्रीस के फिल्ममेकर जेम्स मिमिकॉस ने भाग लिया।
फैस्टिवल के विभिन्न सेमिनार में सेंसर बोर्ड की मेंबर रुचिका अग्रवाल, गरिमा भंडारी, अब्दुल देवाले मोहम्मद, तजेंद्र शर्मा, पल्लवी प्रकाश, प्रसून सिन्हा, फिल्म डायरेक्टर मोरक्को एम. मोहम्मद अहद बेंसौदा, फिल्म मेकर रविंद्र सिंह राजावत, एफडब्लूआईसीइ के अध्यक्ष बी.एन. तिवारी, एफडब्लूआईसीइ के सेक्रेटरी जनरल अशोक दुबे, एडवोकेट अमित मेहता, फिल्म एक्टर रेहना पंडित, एक्टर मुकेश त्यागी, फिल्म एडुकेटर पीटर फेरिस, पंछी जलोंवी, फिल्म मेकर अमृता रॉय ने भाग लिया और अपने विचार रखे।