पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले पर कलकत्ता हाईकोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है. कोर्ट ने आदेश देते हुए इलाके में लागू धारा 144 को निरस्त कर दिया है. इतना ही नही मामले पर पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कोर्ट ने कहा कि विरोध को कुचलने की कोशिश करने के बजाय आरोपियों की तलाश करे. साथ ही इलाके में सख्त निगरानी और ड्रोन के इस्तेमाल के आदेश दिए हैं.
दरअसल याचिकाकर्ता के वकील विकास रंजन भट्टाचार्य ने कलकत्ता हाईकोर्ट में बदावा किया कि संदेशखाली में प्रतिबंध लागू करने का कोई आधार नहीं था और ऐसा लोगों के विरोध करने के अधिकारों को कम करने के लिए किया गया था. उन्होंने दावा किया कि ग्रामीणों पर अत्याचार करने के आरोपी तीन लोगों में से सिर्फ उत्तम सरदार को गिरफ्तार किया गया है, जबकि शाजहान शेख और शीबा प्रसाद हाजरा का पता नहीं चला है.
आपको बता दें 9 फरवरी से संदेशखली में धारा 144 लागू कर दी गई थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा था कि बड़ी संख्या में महिलाएं इकट्ठा हुई थीं और शांति भंग होने की आशंका थी. साथ ही सरकार द्वारा दावा किया कि उनके द्वारा ऐसे कुछ प्रदर्शनों में कथित तौर पर हिंसा की गईण् जिसको लेकर इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई थी.
वहीं याचिका को संज्ञान में लेते हुए कलकत्ता ने इलाके में धारा 144 के तहत प्रतिबंधों के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि ग्रामीण महिलाओं के विरोध को कुचलने के लिए अपनी सभी कोशिशें करने के बजाय, पुलिस अधिकारियों को बेहतर ढंग से अपनी प्राथमिकताएं तय करने और अपराध में शामिल कथित दो प्रमुख अपराधियों को तलाश करने की जरूरत है.
गौरतलब है कि स्मृति ईरानी ने ममता सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि टीएमसी के गुंडे बेटियों को उठा ले जातें है. उन्होनें कहा था कि पीड़ितों की बात मैं आपलोगों को बता रही हूं. महिलाओं ने पत्रकारों से गुहार लगाई की उन्हें न्याय मिले. उन्होनें कहा कि महिलाओं ने आरोप लगाया है कि टीएमसी के लोग उन्हें रात में उठा कर लेकर चले जाते थे. बता दें दर्जनों महिलाओं ने मीडिया के सामने आकर शाहजहां शेख के खिलाफ कई गंभीर आरोप लगाए हैं. जिसके बाद से एक बार फिर यह मामला तूल पकड़ता जा रहा है.