बायजूस ट्यूशन सेंटर्स (बीटीसी), भारत में पढ़ाई के केन्द्रों का सबसे बड़ा और मजबूत नेटवर्क, ने अपने 240 लोकेशन पर 2024-25 के शैक्षणिक सत्र के लिये जोर-शोर से बैचेस शुरू कर दिये हैं। बीटीसी के-12 स्टूडेंट्स के लिये कक्षा पर आधारित प्रोग्राम लाते हैं। और इसमें बायजूस की डिजिटल पढ़ाई वाली पूरी दुनिया तक पहुँच भी मिलती है।
मौजूदा शैक्षणिक वर्ष के लिये बायजूस ने बीटीसी का वार्षिक शुल्क केवल 36,000 रूपये रखा है। यह नजदीकी ट्यूशन क्लासेस की तुलना में भी ज्यादा किफायती है। जबकि इसमें पाठ्यक्रम, अध्यापन और सिखाने की गुणवत्ता काफी बेहतर है। बायजूस के साथ टीचर बनने के लिये भी स्थानीय आधार पर कई लोग रुचि दिखा रहे हैं। पिछले दो महीनों से कंपनी को हर दिन ऐसे लगभग 1200 आवेदन मिल रहे हैं।
बायजूस के संस्थापक एवं सीईओ बायजू रवीन्द्रन ने 19 मई को अपने सारे बीटीसी सेंटर्स के प्रमुखों को सम्बोधित किया था और इंट्राप्रेन्योरशिप पर आधारित बिजनेस का एक अभिनव मॉडल बताया था। उन्होंने कहा था, ‘‘मैं चाहता हूँ कि आप सभी खुद को इन सेंटर्स का आंशिक रूप से मालिक समझें, सिर्फ मैनेजर नहीं।‘’ इस मॉडल के तहत बीटीसी सेंटर्स के प्रमुख को अपने सेंटर के परिचालन से होने वाले फायदे का एक हिस्सा मिलेगा, अगर वो क साल की अवधि के लिये वे तय एडमिशन कर पाते हैं और गुणवत्ता बनाये रख सकते हैं। उन्होंने आगे कहा, ‘‘हमने हर सेंटर में करोड़ों रूपयों का निवेश किया है। और आप आंशिक तौर पर उसके मालिक बन सकते हैं, वह भी मुफ्त में! हमने आपके लिये जमीन तैयार कर दी है। लेकिन वहाँ कोई छत नहीं है। आप कितनी ऊँचाई पर जाते हैं, यह आप पर निर्भर करता है।’’ बीटीसी के प्रमुख अपनी टीमें खुद नियुक्त कर सकते हैं और बायजूस के पुराने कर्मचारियों को भी ले सकते हैं।
बायजू रवीन्द्रन ने कहा, ‘‘बीटीसी भारत के लाखों बच्चों के लिये पूरक शिक्षा के अनुभव को बदलने की बड़ी क्षमता रखते हैं। सही प्रोग्राम्स, समर्पित शिक्षकों, सक्षम बनाने वाली टेक्नोलॉजी और स्थायी वित्तीय मॉडल के साथ, मेरा मानना है कि हम बीटीसी को पैमाने और प्रभाव के मामले में शानदार ऊँचाइयों पर पहुँचा सकते हैं।’’
आकाश के 300 से ज्यादा सेंटर्स के साथ बीटीसी के 240 हाइब्रिड लर्निंग सेंटर्स बायजूस ग्रुप को भारत में पढ़ाई के केन्द्रों के सबसे बड़े नेटवर्कों में से एक बनाते हैं। इस नेटवर्क की विभिन्न जगहों पर मौजूदगी है, जैसे कि बिलासपुर, खरार, डिब्रूगढ़, वापी, लातूर, आसनसोल, धुले और तिरुपति। यह अच्छी गुणवत्ता की शिक्षा को भारत में सुदूरतम जगहों पर पहुँचा रहा है।