इन उपायों को करने से कुंडली में बनता है ज्योतिषी बनने का योग

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ज्योतिष विज्ञान हर कोई सीखना चाहता हैं और इसके प्रति मनुष्य की हमेशा से जिज्ञासा रही है। किसी भी मनुष्य के जीवन में हो रही परेशानी और घटनाओं समझने के लिए फलित का ज्ञानी होना बेहद जरुरी है। एक सफल ज्योतिषी बनने के लिए जन्म पत्रिका में शुभ ग्रहों का बली होना अति आवश्यक है।

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कुंडली में लग्न, पंचम, नवम भाव तथा बुध, गुरु, शुक्र, शनि एवं केतु ग्रह की उत्तम स्थिति जातक को ज्योतिष विद्या के अध्ययन की ओर अग्रसर करती है। वहीं हम समझने की कोशिश करेंगे कि कैसे एक व्यक्ति की कुंडली में उत्तम ज्योतिषी बनने का योग बनता है। एक व्यक्ति को ज्योतिष का मर्मज्ञ बनने के लिए कुंडली के कुछ भाव और ग्रहों का साथ मिलना बेहद जरुरी है। आइए जानते हैं…

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-एक उत्तम ज्योतिषी बनने के लिए लग्नेश का बलवान होना बेहद जरूरी है या फिर वो राजयोग बना रहा हो। लग्न मनुष्य का स्वभाव, उसकी आत्मा है और ऐसे उत्तम कार्य के लिए लग्न का बली होना जरूरी है।

-ज्योतिषी बनने के लिए वाणी भाव यानी दूसरे भाव का संबंध गुरु, शुक्र और बुध से होना चाहिए। इस कार्य में वाणी की ही महत्ता है और वाणी भाव का स्वामी जब भी पंचमेश, अष्टमेश के साथ राजयोग बनाता है तब तब ऐसे व्यक्ति की वाणी अत्यंत प्रभावशाली हो जाती है।

-पंचम भाव पिछले जन्म को दर्शाता है वहीं आठवां भाव गूढ़ विद्या का कारक है। आठवें भाव में बैठा ग्रह दूसरे भाव यानी वाणी भाव को देखता है तो ऐसे में जब जब पंचम का स्वामी आठवें भाव के स्वामी के साथ उसी भाव में बैठ जाए और उसे शनि का साथ मिल जाए तो ऐसा जातक त्रिकालदर्शी होता है।

-बुध गणित है और गुरु ज्ञान है वही चंद्र मन का कारक है। बुध, गुरु और चंद्र पूर्ण बलवान होकर वाणी भाव, पंचम भाव या नवम भाव में बैठे तो ऐसा जातक निश्चित रूप से विद्वान होता है।

-फलित में शनि आठवें भाव का यानी रहस्य का कारक है। केतु अध्यात्म का कारक है। उत्तम वक्ता और ज्योतिषी बनने के लिए बलवान शनि और केतु का कुंडली में होना बेहद आवश्यक है। अक्सर गुरु शनि केतु का आपस में संबंध जातक को गूढ़ ज्ञानी बना देता है।

-बुध गुरु राशि परिवर्तन, गुरु शनि राशि परिवर्तन, आठवें भाव का राजयोग बनाकर केतु के साथ आना ये सब कुछ ऐसे योग है जिनके होने पर भी जातक उत्तम ज्योतिषी बनता है।