इंदौर-धार: शहर मेें दो दिन पूर्व शराब माफियाओं के बीच हुई गोलीबारी के बाद जो परतें खुलकर सामने आ रही है, बता रही है कि आने वाले समय में इंदौर में एक बड़ा गैंगवार होना तय है। वहीं दूसरी ओर शराब माफियाओं को लेकर भाजपा के ही दो दिग्गज आमने-सामने आ गए हैं। भाजपा के ताकतवर विधायक कल अस्पताल में भर्ती अर्जुन ठाकुर से मिले और उन्होंने सख्त कार्रवाई करवाने के लिए आश्वासन दिया। दूसरी ओर शराब कारोबार से जुड़े ए.के. सिंह को अपराधी बनाने के लिए अर्जुन ठाकुर की ओर से पुन: शिकायत की जा रही है। ए.के. सिंह लंबे समय से भाजपा के ही एक मंत्री को कार की सुविधा उपलब्ध करवाने से लेकर अन्य सुविधाएं अपने खर्च से देते रहे हैं।
यह गोलीबारी शहर में अवैध शराब बेचने को लेकर नहीं, बल्कि तीन नंबर की शराब बेचने को लेकर हुई है। इस शराब को पीसीएम कहा जाता है। इंदौर में 3000 पेटी अवैध शराब हर दिन बेची जाती है। शराब माफियाओं का नया काकस जिसमें तमाम अपराधी भरे पड़े हैं। इंदौर के एक शराब ठेकेदार संतोष रघुवंशी को उखाड़ फेंकने के लिए एक जाजम पर आ गए हैं। शराब के नए माफियाओं को एक साथ लाने का काम झांसी के शराब ठेकेदार राजेश राय कर रहे थे और यह गोलीकांड इसी का परिणाम है।
पिछले दो दिनों में इस गोली कांड की तह में जाने के बाद शराब माफियाओं का आपसी विवाद सामने दिखाई देने लगा। 25 साल पहले गाजियाबाद से इंदौर शराब का कामकाज करने के लिए ए.के. सिंह यहां आकर स्थापित हो गए। उस वक्त उन्होंने नानक सिंह अजवानी के साथ अन्य राज्यों के परमिट लाने के बाद पूरे प्रदेश में अवैध शराब का बड़ा जाल स्थापित कर लिया। अन्य राज्यों के परमिट की शराब धड़ल्ले से बिकने लगी। इसी काम में उस जमाने के और शराब माफिया पिंटु भाटिया, खान ग्रुप अलग-अलग काकस चलाने लगे।
इस बीच शराब के फेक्ट्री चला रहे रतन केड़िया की कंपनी आर्थिक दिक्कतों में उलझ गई। उस समय बड़ी राशि पिंटु छाबड़ा, नानक सिंह, गौतम बंधु ने देकर पीथमपुर के बाटलिंग प्लांट में अपनी अवैध शराब की पैकिंग शुरू करा दी। यह दो नंबर की शराब इसके बाद दुकान लेने वाले ठेकेदारों के साथ पार्टनरी डालकर बेची जाने लगी। इसके बाद चीप ब्रांड की शराब इस फेक्ट्री में अवैध रूप से धड़ल्ले से बनकर दुकानों पर पहुंचने लगी। धीरे-धीरे पूरे शहर में तीन नंबर पर कब्जा हुआ। अब झांसी के रमेशचंद्र राय जिनके पास धार की मोनोपाली है, वे लंबे समय से इंदौर पर कब्जा करने के लिए लगे हुए थे।
इस बार उन्होंने एन.के. सिंह के अलावा नन्हें सिंह, पिंटु भाटिया, मुकेश शिवहरे को पार्टनर बनाकर यहां पर मोनोपाली की तैयारी की, ताकि इंदौर में अवैध शराब नहीं आए और तीन नंबर का माल का कारोबार जमकर हो सके। अब इंदौर का ठेका इन्हीं के पास है। दूसरी ओर लंबे समय से इंदौर में कई दुकानों पर अपनी मोनोपाली बनाने वाले संतोष रघुवंशी को रमेश राय ने अपने समूह में शामिल नहीं किया है। जिस बैठक में गोली चली, उसमें छह गोली चलाई गई है। अवैध शराब को रोकने के लिए और डुप्लीकेट शराब (3 नंबर का माल) को बेचने के लिए यह बैठक थी, जिसमें आहतों के कब्जे को लेकर भी विवाद होने के बाद पिंटु ठाकुर और हेमू ठाकुर ने अर्जुन ठाकुर पर गोली चला दी।
लाशे ढोते नहीं बनेगी
1977 के शराब कांड की स्थिति में अब इंदौर पहुंच गया है। जिस तरीके से यहां शराब के खेल में अधिकारियों का पैसा लगा है, वहीं अब अपराधियों का भी पैसा इसमें तेजी से आ रहा है। ऐसे में उन्हें शराब के पैसे से मतलब है। कई जगहों पर शराब का स्तर बेहद दोयमदर्जे का हो गया है। अब इंदौर का शराब कारोबार ठेकेदारों के हाथ से निकलकर स्मलगरों के पास पहुंच गया है। इसलिए आने वाले समय में गैंगवार और बड़े शराब कांड की ओर अब शहर खड़ा हो गया है। किसी भी दिन इस शहर में यह दोनों हादसे दिखाई देंगे।
वहीं भाजपा के दो ताकतवर नेता जो इस गोलीकांड के बाद आमने-सामने हो गए हैं, एक धड़ा ए.के. सिंह को बचाने में लगा है, दूसरा अर्जुन ठाकुर के साथ है। कल दोनों दिग्गज नेताओं के बीच इस मामले में समझौता कराने को लेकर भी आपस में प्रयास हुए, परन्तु फिलहाल कोई सफलता नहीं मिली। वहीं पुलिस विभाग के दिग्गजों का कहना है कि अगले दो महीनों में ही यह मामला समझौते की टेबल पर पहुंच जाएगा। हिस्सा-बांटा तय होते ही पुलिस विभाग कुछ नहीं कर पाएगा। ए.के. सिंह के दिल्ली के ताकतवर मंत्री से भी बड़े रिश्ते है।
शराब की गंगा में कई नहाए
इंदौर शहर के करोड़ों रुपए के शराब कांड में लगभग भाजपा और कांग्रेस के दिग्गज नेता और उनके सलाहकार भी जुड़े हुए है। पूर्व मुख्यमंत्री के बेहद करीबी पूर्व अधिकारी की भी बड़ी राशि यहां के कारोबार में लगी हुई है। इसके अलावा दो आदतन अपराधी के भी दो-दो करोड़ से ज्यादा की हिस्सेदारी मौजूद है।
कई शराब ठेकेदार पीछे हटे
शहर में शराब ठेकेदारी में गुंडों और अपराधियों के रमेशचंद्र राय और ए.के. सिंह के आने के बाद घुस जाने के बाद पुराने दिग्गज शराब ठेकेदारों ने अपनी हिस्सेदारी दो प्रतिशत से भी कम कर पीछे खसकना ही बेहतर समझा। इसमें प्रमुख रूप से मोनू भाटिया, सत्यनारायण जायसवाल, अखिलेश राय, रायपुर वाले पप्पू भाटिया शामिल है।
आहतों के जनक देवेन्द्र सिंह भाटिया
इंदौर के पुराने शराब ठेकेदार देवेन्द्र सिंह भाटिया उन ठेकेदारों में शामिल है, जो शराब को लेकर सरकार को नीति बनाकर देते थे। पूरे शहर में चोरी-छीपे शराब पीने से रोकने के लिए उन्होंने आहतों के निर्माण की सलाह दी थी। इससे शहरभर में महिलाओं की सुरक्षा बढ़ गई और चाहे जहां बैठकर पीने से रोक लग गई।
(इंदौर में हुवे शराब कारोबारी पर गोलीकांड को लेकर शोषल मीडिया पर प्रकाशित खबर )