एमटीएच से घबराना कैसा!

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एमटीएच से घबराना कैसा!
अधीक्षक की पत्नी भर्ती हैं

गौरीशंकर दुबे

इंदौर : सोशल मीडिया पर पिछले साल ही एक खबर उड़ी थी कि एमटीएच में कोविड मरीज को जिंदा भेजो, तो घर आने के बजाय सीधा मरघट जाता है। पूरे शहर में ज्यादातर लोगों को यह कहते सुना है कि एमटीएच को छोड़कर कहीं भी ले जाईये। जो लोग प्रभावी लोगों से अस्पतालों में बेड की मांग करते हैं, वे पहले कह देते हैं कि एमटीएच को छोड़कर कहीं भी करा दीजिए। यहां तक कि प्रायवेट में भी चलेगा। यह तो हुआ तस्वीर का पहला पहलू।

दूसरा पहलू यह है कि चेस्ट रोग विशेषज्ञ डॉ. संजय अवासिया और डॉ. धर्मेंद्र झंवर यहां बारह महीने से काम पर लगे हैं। घबराए मरीज और उनके परिजनों का हौंसला और ताकत बढ़ाने वाली खबर यह है कि एमवाय अस्पताल के अधीक्षक और संयुक्त संचालक स्वास्थ्य सेवा डॉ. प्रमेंद्रसिंह ठाकुर की धर्मपत्नी श्रीमती वर्षासिंह ठाकुर यहां सात दिन से कोरोना का इलाज करा रही हैं। आम मरीजों की तरह ही उनका इलाज किया जा रहा है और कल रात तक स्वास्थ्य में लाभ था। वे हाईकोर्ट में पैनल अधिवक्ता है। डॉ. पीएस मेडिकल कॉलेज कैंपस के छोटे से सरकारी आवास में रहते हैं। कल ही चैत्र की नवरात्रि का समापन हुआ। देवी दुर्गा के उपासक हैं।

कहते हैं-सात दिन में दो बार एमटीएच के दौरे पर गया था। पांच-पांच मिनट पत्नी से मिला। नौ दिन केवल पानी और फलों से काम चलाया। बीस-बीस घंटे काम कर रहा हूं, जो समय की जरुरत है। आम दिनों की बात भूल जाओ, क्योंकि यह युद्ध है। हम जीत गए, तो आने वाली नस्लें ढंग से सांस ले सकेंगी। सोशल मीडिया पर कुछ व्यंग्यात्मक और कुछ प्रेरक वीडियो/कमेंट करने वाले डॉ. पीएस फक्कड़ किस्म के हैं। खटारा सरकारी मारुती वेन में एक से दूसरे अस्पताल दौरा करते पाए जा सकते हैं। सामान्य लोगों से पेंट शर्ट और कभी-कभी तो चप्पलें पहने ही चल देते हैं।

इन दिनों दाढ़ी बनाने की फुर्सत भी नहीं है। बेटी भाव्या और बेटे रामेंद्र ने कहा, पापा कल तो खाना खा लेना। डॉ. पीएस कहते हैं-हाथ जोड़कर ही नहीं, पैर पढ़कर निवेदन कर रहा हूं कि घर में भी चार लोगों के बीच मास्क लगाएं। हल्का खाना खाएं। दिन में फ्रिज का कुछ खा लें, लेकिन कुनकुना पानी पीना ही पानी है। दाल, चाय, रोज लेना ही लेना है।
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