Annapurna Jayanti 2023: बुधवार यानी कल 13 दिसंबर मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष से 21 दिनों तक अन्न की देवी अन्नपूर्णा की एक दम खास पूजा अर्चना की जाती हैं। दरअसल, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर 21 दिनों के बीच माता अन्नपूर्णा की एक अनोखे रूप से अर्चना और उपवास का विधान बताया गया है। जहां माता अन्नपूर्णा को जगत जननी देवी पार्वती का ही एक स्वरूप माना गया हैं।
जिनकी उपासना से मनुष्य को धन-धान्य, सुख-समृद्धि, यश, कीर्ति, अच्छी सहाय और दीर्घायु, सब कुछ प्राप्त होता है। इसके अनुसार इन सब सुखों का फायदा उठाने के लिए आपको अन्न की देवी अन्नपूर्णा के 21 दिवसीय उपवास का पालन जरूर करना चाहिए, लेकिन जो मनुष्य 21 दिनों तक उपवास न कर सके, वो मात्र एक दिन उपवास जरूर कर लें, लेकिन देवी की पूजा आराधना पूरी विधि के साथ 21 दिनों तक ही करें। अगले 21 दिनों के बीच आपको किस प्रकार मां अन्नपूर्णा की आराधना करनी चाहिए।
पूरे 21 दिनों तक माता अन्नपूर्णा की इस विधि से करें पूजा
- आपको बता दें कि बिना कुछ ग्रहण किए, स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद मां अन्नपूर्णा की विधि-पूर्वक रोली, अक्षत, धूप-दीप, फूलों आदि से पूजा करें।
- आराधना प्रारंभ करने से पूर्व ही एक 21 गठन वाला रेशमी सूत लें और उसे अपने हस्त पर बांध लें।
- इस सूत को पूरे 21 रोज तक पूजा के समय धारण करना है। फिर 21 दिनों के पश्चात उस सूत को बहते जल में छोड़ देना हैं।
- इस प्रकार कच्चा सूत लेकर पूजा के पश्चात माता की आस्था के साथ कथा सुनना हैं और ध्यान रहे देवी मां की कथा एकांत और अकेले नहीं सुनें।
- वहीं यदि आपके घर पर साथ में कोई और कथा श्रोता न हो, तो एलोवेरा, अर्थात ग्वारपाठा के गमले के समक्ष एक पीपल के पत्र पर सुपारी रख कर, वहां पर घृत का दीप प्रज्वलित करें।
- साथ ही भगवान शिव, अर्थात शिव जी की मूर्ति, प्रतिमा या चित्र भी वहां स्थापित करे। अब भगवान शंकर और ग्वारपाठा के पौधे को कथा सुनाएं।
- यदि आपको एलोवेरा भी न मिले तो आप सिर्फ शंकर जी के समक्ष घृत का दीपक जलाकर कथा का पाठ सुनाएं।
- इस तरह पूजा के उपरांत घर के सभी सदस्यों में माता को चढ़ाया गया भोग प्रसाद के रूप में वितरित करें और नियमित इसी तरह से देवी अन्नपूर्णा की आराधना और उपासना करें।
- ऐसा करने से जातक के घर में धन-धान्य की वृद्धि के साथ ही पैसों की समस्या समाप्त होगी।
अन्नपूर्णा जयंती 2023 तिथि
इस वर्षा अन्नपूर्णा जयंती 26 दिसंबर, 2023 को बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। हर वर्ष मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा के दिन अन्नपूर्णा जयंती का जश्न मनाया जाता है। धार्मिक कथाओं के मुताबिक, इसी दिन मां अन्नपूर्णा पृथ्वी पर उत्पन्न हुई थी। इस दिन विधि-विधान के साथ देवी अन्नपूर्णा की आराधना करने से मनुष्य कभी भी धन के लिए नहीं भटकता हैं।