शनि को न्याय और कर्मफल का देवता माना जाता है। शनि को प्रसन्न करके व्यक्ति जीवन के कष्टों को कम कर सकता है। ऐसा माना जाता है कि जब भी कभी ग्रहों में किसी तरह का कोई बदलाव होता है तो इसका सीधा असर हमारी राशि पर पड़ता है। जिस वजह से कुंडली पर शनि बैठ जातें हैं और ऐसे में व्यक्ति के जीवन में दुख भी आ सकते हैं तो खुशियां भी आ सकती हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार शनि के नाराज होने से व्यक्ति के जीवन पर गहरा असर पड़ता है। शनिदेव प्रसन्न होते हैं तो बिगड़े हुए काम बन जाते हैं और सफलता भी प्राप्त होती है।
ज्योतिष में शनि को सबसे धीमी चाल चलने वाला ग्रह माना गया है। यह एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने के लिए करीब ढाई वर्षों का समय लेते हैं। शनि अभी मकर राशि में विराजमान हैं, ये इस राशि में 24 जनवरी 2020 से हैं। अब इसके बाद शनि 2022 को अपनी राशि बदलेंगे। शनि के राशि बदलने पर कुछ राशियों के जातकों पर शनि की साढ़ेसाती आरंभ हो जाती है। आइए जानते हैं शनि के अगले वर्ष में राशि बदलने पर किन-किन पर इसका प्रभाव पड़ेगा।
मकर राशि में वक्री हैं शनि
शनि 2020 से ही मकर राशि में गोचर कर रहे हैं। मकर शनि के स्वामित्व वाली ही राशि है। वर्तमान में शनि इस राशि में वक्री अवस्था में हैं। धनु, मकर और कुंभ वालों पर शनि साढ़े साती चल रही है तो वहीं मिथुन और तुला वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। इन पाचों ही राशियों के लिए पूरा साल काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा।
शनि का राशि परिवर्तन कब होगा
शनि 29 अप्रैल 2022 में कुंभ राशि में प्रवेश कर जायेंगे। जिससे धनु वालों को शनि साढ़े साती से मुक्ति मिल जाएगी और मीन वाले जातक इसकी चपेट में आ जाएंगे। बाकी मकर और कुंभ वालों पर शनि की साढ़े साती बनी रहेगी। वहीं शनि ढैय्या की बात करें तो मिथुन और तुला जातकों को इससे मुक्ति मिल जाएगी जबकि कर्क और वृश्चिक वाले इसकी चपेट में आ जाएंगे। साल 2022 में ही 12 जुलाई को शनि वक्री हो जायेंगे और अपनी उल्टी चाल चलते एक बार फिर से मकर राशि में प्रवेश कर जाएंगे।