बंगलूरु, 3 सितंबर: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आदित्य L1 स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक बढ़ा दिया है, जो अब सूर्य के निकट पहुंचने के लिए तैयार हो रहा है। 2 सितंबर को सुबह 11.50 बजे PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए आदित्य स्पेसक्राफ्ट को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था। लॉन्चिंग के 63 मिनट 19 सेकेंड बाद स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया था।
अंतरिक्ष क्रियाकलाप का आरंभ
आदित्य L1 स्पेसक्राफ्ट को भारतीय अंतरिक्ष केंद्र (ISRO) ने 2 सितंबर को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था। इस लॉन्च के बाद, स्पेसक्राफ्ट को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया है, और अब वैज्ञानिकों का ध्यान सूर्य के निकट पहुंचने की ओर है।
चरण-चरण में सफल प्राप्ति
प्रारंभिक चरण: PSLV-C57 के XL वर्जन रॉकेट के जरिए लॉन्च किए जाने के बाद, आदित्य L1 स्पेसक्राफ्ट को 235 x 19500 Km की पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचाया गया था। इसके बाद, स्पेसक्राफ्ट को प्राथमिक अन्तरिक्ष कक्षा में 16 दिनों तक रहना है, और वैज्ञानिकों द्वारा कक्षा में और अधिक स्थायिता प्राप्त करने के लिए 5 बार थ्रस्टर का इस्तेमाल किया जाएगा।
सूर्य के निकट पहुंच: इसके बाद, स्पेसक्राफ्ट को फिर से थ्रस्टर की मदद से L1 पॉइंट की ओर निकाला जाएगा।
सूर्य की ओर बड़े कदम : लगभग 110 दिनों के सफर के बाद, आदित्य ऑब्जरवेटरी इस L1 पॉइंट के पास पहुंच जाएगा।
लैगरेंज पॉइंट-1 (L1) क्या है?
लैगरेंज पॉइंट, जो इतालवी-फ्रेंच मैथमैटीशियन जोसेफी-लुई लैगरेंज के नाम पर रखा गया है, एक खास स्थान है जो ग्रहण के प्रभाव से मुक्त होता है। यह ऐसे पांच स्थान हैं जो ब्रह्मांड के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल बैलेंस हो जाता है और सेंट्रिफ्यूगल फोर्स बन जाती है। इन पॉइंट्स का उपयोग वैज्ञानिक अनुसंधान में किया जाता है, और यहां से सूरज पर रिसर्च की जा सकती है।