अर्जुन राठौर
इंदौर को शैक्षणिक हब कहा जाता है लेकिन शैक्षणिक हब की आड़ में शिक्षा माफिया द्वारा बड़े पैमाने पर घोटाले किए जा रहे हैं और इसमें सबसे बड़ा घोटाला है फैकल्टीज का। कॉलेजों में फैकल्टीज के नाम पर फर्जी लोगों की नियुक्ति दिखाई जाती है जबकि वास्तव में इन लोगों का कालेज से कोई लेना-देना नहीं रहता घोटाला यहां तक होता है कि कालेजों में फैकल्टीज के नाम पर आवेदन बुलाए जाते हैं और उन आवेदन के साथ जो जरूरी दस्तावेज होते हैं उन दस्तावेजों का दुरुपयोग करते हुए फर्जी तरीके से उन्हें कॉलेज में तो फैकल्टी बना दिया जाता है लेकिन जिनके आवेदन आते हैं उन्हें इस बात की जानकारी नहीं होती कि उनके नाम तथा दस्तावेज का दुरुपयोग किया जा रहा है ।
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अगर विश्वविद्यालय द्वारा इस पूरे मामले की जांच कराई जाए तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आएंगे कि किस तरह से फैकल्टीज के नाम पर फर्जीवाड़ा चल रहा है कई कॉलेज तो ऐसे हैं इंदौर में जिनके पास जितनी बड़ी संख्या में विद्यार्थी हैं उस अनुपात में ना तो उनके पास जगह है और ना ही अन्य सुविधाएं फिर सवाल इस बात का उठता है कि आखिर इन कॉलेजों में होता क्या है ? जब इस पूरे मामले की तहकीकात होती है तो पता चलता है कि शिक्षा माफिया के तमाम कॉलेज मात्र डिग्री बांटने का माध्यम भर रहे गए हैं यहां पर छात्रों की उपस्थिति से लेकर फैकल्टीज की संख्या तक का घोटाला किया जाता है और सबसे बड़ी बात यह है कि विश्वविद्यालय भी ऐसे कालेजों को मान्यता देने के बाद न तो उनका भौतिक परीक्षण करता है , और ना विश्वविद्यालय की टीम यहां पर निरीक्षण करती है इसी का फायदा उठाकर शिक्षा माफिया के यह तमाम कॉलेज डिग्री बांटने के केंद्र बन गए हैं और अब उन्होंने फैकल्टीज के नाम पर उन लोगों का शोषण भी शुरू कर दिया है जिन्हें नौकरी वास्तव में मिलना थी ।