रालामंडल में 10,000 पेड़ों की एक हरी दीवार बनाई गई थी, जानापाव हिल स्टेशन को भगवान परशुराम का जन्म स्थान माना जाता है, विश्व वानिकी दिवस पर जानिए शहर के जंगल

Share on:

इंदौर। जंगल हमारी दुनिया का एक महत्त्वपूर्ण अंग हैं. उनके बग़ैर हम पृथ्वी पर ज़िंदगी का पहिया घूमने का तसव्वुर भी नहीं कर सकते हैं। पृथ्वी पर पेड़ जो सेवाएं देते हैं, उनकी फ़ेहरिस्त बहुत लंबी है।पेड़ पौधे इंसानों और दूसरे जानवरों के छोड़े हुए कार्बन को सोखते हैं। ज़मीन पर मिट्टी की परत को बनाए रखने का काम करते हैं। पानी के चक्र के नियमितीकरण में भी इनका अहम योगदान है।इसके साथ पेड़ प्राकृतिक और इंसान के खान-पान के सिस्टम को चलाते हैं और न जाने कितनी प्रजातियों को भोजन प्रदान करते हैं। आज विश्व वानिकी दिवस है, पेड़ पौधों के महत्व के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है। शहर में प्रदूषण का स्तर दिन ब दिन बढता जा रहा है। ऐसे में शहर में जंगल की स्थिति काफी दयनीय हालत में है। शहर और इसके आसपास के कुछ जंगल जो हमारे शहर को स्वस्थ रखते है।

चौरल जंगल में प्रशासन द्वारा लगवाए जा रहे पौधे, पीछले साल लगी आग से कई पेड़ झुलसे

इंदौर से थोड़ी दूरी पर स्थित चोरल का जंगल कई किमी इलाके में फैला हुआ है। यहां पर मुख्य रूप से सागौन, शीशम, नीम, करंज साथ ही विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे हैं। पिछले कई महीनो से इस जंगल को घना बनाने के लिए प्रशासन की तैयारी चल रही है। जिसमें वन विभाग की टीमों के साथ ही वन समिति के सदस्य भी जुटे हैं। पीछले साल 2022 में जंगल में लगी आग में मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 15 स्थानों पर आग से 30 से 40 हेक्टेयर जंगल को नुकसान हुआ था । इसमें शीशम, अंजन, कंजर और सागवान के पेड़ झुलस गए थे।

Read More : नर्मदा स्नान के लिए ओंकारेश्वर जा रहे श्रद्धालुओं का पिकअप वाहन पलटा, 16 लोग घायल, 2 गंभीर

रालामंडल जीव अभ्यारण है खास, कुछ समय पहले 10,000 पेड़ों की एक हरी दीवार बनाई गई थी।

Read More : TJMM फिल्म ने Box Office पर की ताबड़तोड़ कमाई, Shraddha- Ranbir की जोड़ी ने मचाया धमाल, 100 करोड़ क्लब में हुई शामिल

रालामंडल वन्यजीव अभयारण्य की स्थापना 1989 में इंदौर , मध्य प्रदेश में हुई थी । यह पाँच वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है और विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों और अन्य वन्यजीवों का घर है।यह लगभग 5 किलो मीटर के क्षेत्र में फैला है। इसकी शहर से दूर मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस जंगल में कई प्रकार के पेड़ और वानस्पतिक पौधे है। जो शहर की हवा को शुद्ध करने में अहम भूमिका निभाते है। कहा जाता है कि कुछ साल पहले पास के राजमार्ग से निकलने वाले शोर और वायु प्रदूषण से जानवरों और पक्षियों को बचाने के लिए लगभग 10,000 पेड़ों की एक हरी दीवार बनाई गई थी। यह 180 मीटर लंबा और 6 मीटर चौड़ा है।

जानापाव हिल को भगवान परशुराम जी का जन्म स्थान माना जाता है, यह ट्रेकर का स्वर्ग है,

जानापव हिल, जो मालवा पठार में दूसरा सबसे ऊंचा स्थान है, इंदौर से लगभग 45 किलोमिटर की दूरी पर स्थित यह हिल स्टेशन पेड़ पौधों से भरा है। यहां पर कई प्रकार के पेड़ पौधे और जीव जंतु मौजूद है। एक प्रकृति प्रेमी का स्वर्ग और एक ट्रेकर का स्वर्ग है। इस स्थान का कुछ धार्मिक महत्व भी है क्योंकि इसे परशुराम का जन्मस्थान माना जाता है। पहाड़ी की चोटी तक पहुँचने का मार्ग एक सुंदर है और आप हरे-भरे वातावरण से होकर गुजरेंगे। यह शहर के वातावरण को शुद्ध करने में अहम भूमिका निभाता है। इसी के साथ शहर से 50 किलोमिटर की दूरी पर कई छोटे बड़े जंगल मौजूद है जो शहर की आबो हवा को साफ करने में अहम भूमिका निभाते है।