जिंदगी

Ayushi
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dheryashil

चलते चलते राह में
ठहर गई है जिंदगी
कांटा बन के पाव में
चुभ गई है जिंदगी ।

क्या गुप्तगु करे
तुझसे ये मेरे दोस्त
जुंबा पत्थर की
बन गई है जिंदगी ।

बड़ा आसान है ,बोझ को
जिस्म पर ढोना ,
तकलीफ होती है ,जब
दिल पर बोझ बनती है जिंदगी ।

कौन अपना कौन गैर
समझ मे नही आता
आज चेहरा बदल गया उसका
कल तक थी जो मेरी जिंदगी ।

चोट खाई तो यकीन आया
ये हर दौर का सच है
इंसान को जख्म पे जख्म
देती रहती है जिंदगी ।

तुझे तेरे गुनाहों की
सजा मिली है ,धैर्यशील
खुदा का बनाया
कैदखाना है जिंदगी ।

धैर्यशील येवले इंदौर ।