उज्जैन के इस मंदिर में बिना शुभ मूहर्त के कर सकते है शादी, ऐसी है ऐतिहासिक मंदिर की मान्यता

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धार्मिक नगरी उज्जैन में भी गणेश चतुर्थी पर्व की शुरुआत बड़े हर्ष उल्लास के साथ शुरू हो गया है। बता दे, उज्जैन नगरी में षड् विनायक स्थापित है। ऐसे में सभी कि स्थपना अलग-अलग मान्यता से पूरी की गई है। इनमे से सबसे खास शहर से 7KM दूर चिंतामण, इच्छामण और सिद्धिविनायक रूप में गणेश विराजमान है। कहा जाता है कि वनवास के दौरान प्रभु राम ने इस स्थान पर चिन्तामण, माता सीता ने सिद्धिविनायक और लक्ष्मण ने इच्छामन गणेश की स्थापना करने के लिए प्रार्थना की।

जहां गणेश एक साथ तीन रूप में विराज मान हुए और तभी से ये स्थान तीर्थ के रूप में जाना गया। दरअसल, हर रोज श्रद्धालु यहां सिद्धि प्राप्ति, चिंता से मुक्ति व इच्छा अनुसार मनोकामना लिए प्रार्थना करने दूर-दूर से दर्शन करने पहुंचते है। ऐसे में मंदिर के पुजारी बताते है कि आज भाद्रपद माह की चतुर्थी है. आज से 10 दिन तक भगवान के जनमोत्स्व के रूप में पर्व को मनाया जाएगा। कोविड के चलते गर्भ गृह में श्रद्धलुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध रहेगा सभी को गाइड लाइन अनुरूप ही दर्शन करवाएं जाएंगे।

बिना मुहूर्त की शादी –

मान्यताओं के अनुसार, उज्जैन के प्रसिद्ध षड् विनायक में से एक चिंतामण गणेश मंदिर का निर्माण राजा विकरामादित्य के शासन काल में हुआ। ऐसे में यहां पाती के लगन लिखाने और विवाह करने की अनूठी परंपरा है। कहा जाता है कि जिनके लगन नहीं निकल रहे, वो चिंतामण गणेश आकर बिना मूहर्त के विवाह कर सकते है। यहां किसी मूहर्त की जरूरत नहीं होती है। बता दे, जिनके विवाह में बाधा आती है वे यहां गणेश को मनाने आते है और निर्विघ्न विवाह के लिए गणेश को मना कर घर ले जाते है। जब विवाह तय हो जाता है तो यहीं आकर फेरे लेते है।