देश में लगातार पहलवानों का विरोध प्रदर्शन जारी है। बीतें कई महीनों से देश के नामी पहलवान राजधानी की सड़कों पर न्याय के लिए विरोध कर रहे है। पहलवानों के न्याय के लिए सरकार ने कई फैसले भी लिए है। मगर, पहलवान सरकार के फैसलों से नाराज़ है। इस साल के जुलाई माह में ओलिंपिक शुरू होना है और पहलवान अभी तक कन्फ्यूजन में हैं।
भारत की तरफ से कई ओलिंपिक खेलने वाले दावेदार अभी कन्फ्यूजन में हैं। पहलवानों की यह कन्फ्यूजन रेसलिंग फेडरेशन और एडहॉक कमेटी के बीच तकरार से है। बता दें कि 23 अगस्त, 2023 को यूनाइटेड वर्ल्ड रेसलिंग ने रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया में चुनाव न होने की वजह से इसे बैन कर दिया था। हालाँकि, यह बैन 13 फरवरी, 2024 को हटा दिया गया है। मगर, केंद्र सरकार ने दिसंबर में रेसलिंग फेडरेशन को सस्पेंड कर एडहॉक कमेटी बनाई थी।
इस दौरान रेसलिंग फेडरेशन और एडहॉक कमेटी दोनों ओलिंपिक के लिए ट्रायल करवा रहे हैं। जिससे पहलवानों में यह कन्फ्यूजन है कि वह किस फेडरेशन को ट्रायल दें। दोनों फेडरेशन का यह दावा है कि उनके ट्रायल में जीतने वाले पहलवान ही आगे की चैम्पियनशिप में खेल पाएंगे।
पहलवान अंतिम पंघाल ने कहा…
इसी कन्फ्यूजन को लेकर पहलवान अंतिम पंघाल ने कहा, ‘मैं बहुत खुश थी। ओलिंपिक के लिए पहला कोटा मुझे मिला था। सोचा कि अब बस मेडल के लिए तैयारी करनी है। सितंबर में कोटा मिला, नवंबर में कुश्ती का मैनेजमेंट देख रही एडहॉक कमेटी ने कह दिया कि ओलिंपिक के लिए मुझे भी ट्रायल देना होगा।’
उन्होंने आगे कहा कि ‘पहले ऐसा नहीं होता था। कोटा लाने वाला ही ओलिंपिक में जाता था। एशियन चैंपियनशिप और ओलिंपिक के ट्रायल होने हैं, लेकिन हमें पता ही नहीं है कि ट्रायल एडहॉक कमेटी कराएगी या रेसलिंग फेडरेशन। कुछ भी साफ नहीं है।’