वोमेन फोरम प्रेसेंट्स “अनलॉकिंग योर वौइस् ” – द साइकोलॉजी ऑफ़ सोशल इंटरेक्शन एंड पब्लिक स्पीकिंग’’ बाय डॉ संदीप अत्रे

RishabhNamdev
Published on:

इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन (आईएमए) में 22 नवंबर 2023 को शाम 3:00 बजे से 4:30 बजे तक आईएमए मीटिंग रूम जाल ऑडिटोरियम साउथ तुकोगंज, इंदौर में “अनलॉकिंग योर वौइस् ” – द साइकोलॉजी ऑफ़ सोशल इंटरेक्शन एंड पब्लिक स्पीकिंग’’ बाय डॉ संदीप अत्रे सेशन आयोजित किया गया ।

स्पीकर;

1) डॉ संदीप अत्रे – काउन्सलिंग साइकोलोजिस्ट ; फाउंडर – सोशलिगेंस , को-फाउंडर – सीएच ऐजमेकर्स

सत्र के कुछ मूल बातें :
1) संतुलन बनाना: पब्लिक स्पीकिंग वह अच्छा करता है जो अपने आप को लाइटली लेता है और अपने मेसेज को सीरियसली ।
2) मानसिक अपील: चाहे बात कितनी भी अच्छी क्यों ना हो अगर मन को नहीं भायेगी तो दिमाग़ में नहीं जाएगी। इसलिए बात को कहने का तरीक़ा दिलचस्प और लहजा मनपसंद होना चाहिए, लेकिन यह भी याद रखना ज़रूरी है की बात को मेनीप्युलेट ना करें ।
3) फोपो जागरूकता: जैसे FOMO (Fear Of Missing Out) होता है वैसे है FOPO (Fear Of People’s Opinions) भी होता है। और सोशल इंटरेक्शन में जो authentic (प्रामाणिक ) होने के बजाए पीपल प्लीज़िंग हो जाते है उनके बातो को लोग कुछ समय में सीरियसली लेना बंद कर देते है .
4) माइंड रीडिंग के नुकसान: पूरे वक़्त लोगो के दिमाग़ पढ़ने को कोशिश न करे, अन्यथा आप इंसान कम आईने ज़्यादा हो जाएंगे. और फिर भले ही आप को ज़्यादातर लोग सुन/मान रहे हो, आपके लिए वह एकाध
शख़्स ज़्यादा अहम हो जाएगा जो आप को नहीं सुन/मान रहा. और इस चक्कर में आप
अपनी बात पर से अपना फोकस खोदेगे।
5) महिलाओं के लिए सामाजिक संदेश: स्त्री के ओर समाज की सबसे बड़ी साज़िश रही है उसके ध्यान को उसके शरीर में क़ैद कर देना। इस वजह से जिस स्त्री को लगता है की वह ख़ूबसूरत नही है वह तो केवल महसूस
करती है, परन्तु जिस स्त्री को लगता है की वह ख़ूबसूरत है उसका ध्यान भी अक्सर अपने लुक्स में अटक जाता है. इस वजह से अक्सर वे स्टेज पर बोलने में कॉन्ससियस हो जाती है। इसलिए ज़रूरी है की आपका ध्यान इम्प्रेस करने पर कम और एक्सप्रेस करने पर ज़्यादा हो.