महिला थाना इंदौर: न्याय के साथ माँ अहिल्या स्वावलंबन डेस्क से मिल रहा महिलाओं को रोजगार

Rishabh
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इंदौर का महिला पुलिस थाना…
पुलिस विभाग के माध्य्म से महिलाओं की सुरक्षा एवं उनके अधिकारों की रक्षा के लिए और उनकी समस्याओं को सुनने और उसके निदान के लिए थानों पर महिला पुलिस की पदस्थापना की जाती है।।

इन थानों में सिर्फ महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों एवं उनके उत्पीड़न की सुनवाई की जाती है, ऐसी महिलाएं जो पीड़ित हैं आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं कुछ करना चाहती और अपने पैरों पर खड़ा रहना चाहती हैं,उनके लिए महिला थाने पर अब एक अलग डेस्क बनाई गई है, जितनी मां अहिल्या स्वाबलंबन ध्यान दिया गया है इस लिहाज से इंदौर का महिला थाना इस तरह की डेस्क शुरू करने वाला प्रदेश का पहला महिला थाना साबित हुआ।।

इसका उद्घाटन तत्कालीन इंदौर डीआईजी हरिनारायणचारी मिश्र ने किया था, इस मौके पर उन्होंने उन लोगों एवं संस्थाओं का सम्मान भी किया, जो इस तरह की महिलाओं को स्वावलंबन के लिए प्लेटफार्म उपलब्ध करवा रहे हैं,साथ ही पहले दिन ही 3 महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध करवाया, इस डेस्क को मां अहिल्या स्वावलंबन डेस्क का नाम दिया गया है, इंदौर के महिला थाना में रोजाना सैकड़ों महिलाएं अपनी फरियाद लेकर पहुंचती हैं, जहां उन्हें न्याय भी मिलता है, कई महिलाएं जीवनयापन के लिए समस्याओं से जूझती हैं, जिनका निवारण करने के लिए इस डेस्क का शुभारंभ किया गया है।

डीआईजी ने बताया कि कई महिलाएं ऐसी आती है, जो कि पति का साथ छोड़ने के बाद अपने जीवनयापन के लिए परेशान नजर आती हैं, इस डेस्क के माध्यम से ऐसी महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा,उन्हें गुजर-बसर करने के लिए अब किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और वह खुद स्वावलंबी बन जाएंगी, हालांकि शहर ही नहीं, प्रदेश में पहली बार इस तरह की पहल की गई है, जहां पीड़ित महिलाओं को न्याय के साथ रोजगार मिल रहा है।।

इंदौर शहर की थाना प्रभारी ज्योति शर्मा जी ने बताया महिला थाने में बढ़ते जा रहे हैं पारिवारिक मामले।

आज कल थाने पे अधिकतर ऐसे केस ज़्यादा आतें हैं जिनमें महिलाओं को पति के दूसरे महिला से संबंध होने का शक होता है, जबकि पतियों का कहना है कि मायके पक्ष का दखल झगड़े की असली वजह हैं।

पत्नियों की शिकायत

– फोन पर न जाने किस-किस से बात करते हैं।

– परिवार वालों की सुनते हैं, मेरी हर बात टाल जाते हैं।

– मायके के नाम पर ताना देते हैं।

– बहन के लिए नियम अलग व पत्नी के लिए अलग क्यों?

पतियों के आरोप

– घर में घुसते ही मांगों का अंबर लगा देती हैं।

– माता-पिता से अलग रहने का दबाव बनाती हैं।

– फोन हाथ में पड़ते ही सभी नंबर संदेह के घेरे में आ जाते हैं।

– छोटी-छोटी बात पर मायके जाने की धमकी देना।

ये झगड़े कई बार इतने बढ़ जातें हैं कि दोनों के बीच गंभीर हाथा पाई भी हो जाती है, ऐसे में विभाग दोनों पक्षों को न सिर्फ काउन्सलिंग देता हैं, बल्कि घरेलू हिसाँ की शिकार पीड़िताओं को तत्काल मदद भी करता हैं,इनमें से कुछ महिलाओं को तत्काल F.I.R से सहयोग कर मेडिकल ऐड, लीगल ऐड प्रदान करतें हुए निशुल्क वकील द्वारा मदद प्रदान करवाके कुटुंब न्यायालय में भरण पोषण एवं घरेलू हिसाँ का प्रकरण दर्ज़ करवाया जाता हैं।

थाने में आयीं कई पीडिताएँ ससुराल एवं पति के द्वारा बधाई हो कर घरेलू हिंसा की की शिकार हो जातीं हैं,ऐसी महिलाओं के लिए महिला थाना प्रभारी बना रहीं हैं मिसाल,वह महिलाओं को न सिर्फ घरेलू हिँसा से आत्म रक्षा के विकल्प बतातीं हैं,बल्कि उन्हें सरकार द्वारा दिये जा रहें लाभों से भी अवगत करवातीं हैं।

थाना प्रभारी की निस्वार्थ सेवा से आज इंदौर शहर में महिलाएं न केवल जागरुक हों रहीं है बल्कि उनकी मदद से रोज़गार भी प्राप्त कर रहीं हैं।

हाल हीं में महिला एवं बाल विकास के अन्तर्गत चलाए जा रहे,सेफ सिटी अभियान में भी श्रीमती ज्योति शर्मा जी दे रहीं हैं महिलाओं को सुरक्षा और पूर्ण रूप से कर रहीं हैं महिला सम्मान की रक्षा।

थाना प्रभारी की निस्वार्थ सेवा से आज इंदौर शहर में महिलाएं न केवल जागरुक हों रहीं है बल्कि उनकी मदद से रोज़गार भी प्राप्त कर रहीं हैं।