महाराष्ट्र: भारत देश के कानून नियमो के अनुसार महिलाओ के लिये बने कानून पुरुषो कि तुलना मे बहुत अलग है जिसका पालन देश के हर पोलिचे थाने, न्यायालयो मे किया जात है, लेकिन इसी बीच महिलाओ को लेकर बने एक कानून के तोडे जाने का मामला सामने आया है, इतना ही नहीं जिस किसी ने भी इस कानून के नियम का उललंघन किया है उसका हर्जाना देना पड़ा। यह खबर महाराष्ट्र के अमरावती की है, जहां पर एक महिला को सूर्यास्त के पश्चात् पुलिस स्टेशन बुलाया गया था जिसके सन्दर्भ में महाराष्ट्र राज्य मानव अधिकार आयोग ने अमरावती के पूर्व पुलिस कमिश्नर और वर्तमान नागपुर कमिश्नर अमितेश कुमार के खिलाफ इस मामले में कार्यवाही की हैं।
दरअसल इस मामला अमरावती की है, जहा इन दो अधिकारियो को एक महिला को पूछताछ करने के लिए देर रात थाने बुलाने पर बुलाया था जिसके बाद महाराष्ट्र राज्य मानव अधिकार आयोग इस कानून के नियम को तोड़ने वालो पर एक लाख रुपये का जुर्माने का प्रावधान में किया है। जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि किसी भी महिला को सूर्यास्त के पश्चात पुलिस स्टेशन न बुलाया जाए। इसलिए पुलिस द्वारा तोडा गया यह नियम का उललंघन करने वालो को इसका जुर्माना भरना पड़ा।
यह बात 21 मार्च, 2011 की है जहां एक मामले में कंचनमाला गावंडे के पति की गिरफ्तारी के बाद अमरावती पुलिस ने कंचनमाला और उनकी दो बेटियों को पुलिस स्टेशन बुलाया और देर रात तक थाने में रखा और उन्हें धमकाया जिसके बाद महाराष्ट्र राज्य मानव अधिकार आयोग ने इस कानून के नियम का उलंघन करने वाले तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अमितेश कुमार (वर्तमान पुलिस कमिश्नर नागपुर ) और शहर कोतवाली पुलिस स्टेशन के निरीक्षक शिवजी बचते के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है और इस कानून के नियम को तोडने पर राज्य मानव अधिकार आयोग ने पुलिस पर एक लाख रुपये का फाइन किया है। यह मामला पिछले 11 साल से चल रहा था जिस में कंचनमाला ने कहा, ‘मैं लगभग ग्यारह साल तक इंतज़ार करती रही और अब जाकर न्याय मिला है, मैं अपने पति के बारे में पुलिस के साथ सहयोग करने के लिए तैयार थी लेकिन वह लोग मुझे जाने देने के लिए तैयार नहीं थे, आगे उन्होंने बताया कि किसा प्रकार देर रात तक अपनी बेटियों के साथ इंतज़ार करती रही, क्या यह ठीक था?’ आज 11 साल बाद कंचनमाला गावंडे को न्याय मिला है और अमरावती पुलिस कमिश्नरी से नहे एक लाख का चेक मिला है।