भाजपा के अंदर संगठन, सरकार में बदलाव और विस्तार को लेकर कवायद तेज है। एक वर्ग इस कवायद को प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन से जोड़कर देख रहा है तो दूसरा ज्योतिरादित्य सिंधिया को ताकतवर होने से रोकने की मुहिम के तौर पर। नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय सीधे नरेंद्र मोदी – अमित शाह की जोड़ी को लेना है। नीचे स्तर पर इसके लिए इतनी कसरत की जरूरत नहीं। फिर भी अटकलें चलीं और सफाई देने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय एवम प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को सामने आना पड़ा। दोनों ने कहा कि शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री हैं, आगे भी वे ही प्रदेश का नेतृत्व करेंगे। इससे दाल में कुछ काला नजर आता है। वैसे भी नरेंद्र सिंह तोमर को छोड़ दें तो कसरत में शामिल अधिकांश नेता शिवराज को पसंद नहीं करते या उनके विरोधी हैं। फिर भी लगता नहीं कि भाजपा हाईकमान ने अभी प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन का निर्णय लिया है। दूसरी संभावना ज्योतिरादित्य को लेकर, तो सवाल यह है कि क्या ये सभी नेता उन्हें प्रदेश में और ताकतवर होने से रोक पाएंगे? जवाब है, हो भी सकता है और नहीं भी। वैसे भी भाजपा नेतृत्व सिंधिया को अब तक इंतजार ही करा रहा है। बहरहाल, भाजपा में चल रही उठापटक और नेताओं के बीच कमरा बंद बैठकें चर्चा के केंद्र में हैं।
संगठन, सरकार में सभी चाहते हैं हिस्सेदारी..
– प्रदेश भाजपा के सभी नेता चाहते हैं कि संगठन और सरकार का विस्तार हो तो उनके समर्थकों को ज्यादा से ज्यादा जगह मिले। इसीलिए भाजपा के प्रमुख नेताओं ने पिछले दिनों अचानक सक्रियता बढ़ा दी। दूसरी तरफ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया चाहते हैं कि उनके समर्थकों का इंतजार खत्म हो और जल्द उनकी संगठन और सरकार में भागीदारी सुनिश्चित की जाए। इसके लिए वे लंबे समय से नेतृत्व पर दबाव बनाए हुए हैं। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद पटेल, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा आदि के बीच इसे लेकर मेल मुलाकातों का दौर खत्म हो चुका है। वीडी शर्मा संगठन महामंत्री सुहास भगत एवं सह संगठन महामंत्री हितानंद मिश्रा के साथ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और संघ कार्यालय जाकर विचार-विमर्श कर चुके हैं। अब बारी सिंधिया की है। वे बुधवार को भोपाल आ रहे हैं। इस दौरान वे मुख्यमंत्री चौहान एवं वीडी शर्मा से मुलाकात कर अपनी बात रखेंगे।
संगठन, सरकार में हिस्सेदारी से सिंधिया संतुष्ट नहीं….
– ज्योतिरादित्य सरकार और संगठन में अपनी हिस्सेदारी से संतुष्ट नहीं हैं। वे इसलिए भी दुखी हैं कि भाजपा ने प्रद्युम्न सिंह लोधी एवं राहुल लोधी को पार्टी में शामिल किया तो तत्काल निगम मंडलों में जगह देकर मंत्री पद का दर्जा दे दिया लेकिन उनके साथ आए नेता इंतजार ही कर रहे हैं। तीन मंत्री इमरती देवी, एंदल सिंह कंसाना एवं गिर्राज दंडोतिया उप चुनाव हार गए। सिंधिया चाहते थे कि इन्हें तत्काल निगम मंडलों में जगह मिले लेकिन अब तक इंतजार ही करना पड़ रहा है। सिंधिया उन समर्थकों को संगठन में जगह चाहते हैं जो प्रदेश कांग्रेस में पदाधिकारी रहे हैं और पार्टी छोड़कर भाजपा में आ गए हैं। सिंधिया इसके लिए लगातार दबाव बनाए हुए हैं लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली। सिंधिया चाहते हैं कि उनके केंर्द्रीय मंत्री बनने से पहले उनके समर्थकों की ताजपोशी हो जाए। ऐसा न होने पर समर्थकों में गलत संदेश जाने का खतरा है।
नेतृत्व के संकेत के बाद सक्रिय हुए भाजपा नेता….
– भाजपा नेतृत्व की ओर से सरकार और संगठन में विस्तार की हरी झंडी मिलने के बाद पार्टी के प्रमुख नेता सक्रिय हुए हैं। इस खबर से भी उनकी नींद उड़ी है कि सिंधिया के और समर्थकों को जगह मिलने वाली है। सूत्र बताते हैं कि ये नेता सिंधिया को सरकार में और ताकतवर होने से रोकना चाहते हैं। ये चाहते हैं कि उनके समर्थकों को भी सरकार और संगठन में जगह मिले। जैसे, कैलाश विजयर्गीय रमेश मेंदोला, उमा भारती अपने भतीजे राहुल लोधी, प्रहलाद पटेल अपने भाई जालम सिंह पटेल के लिए मंत्री पद चाहते हैं। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री चौहान अपने खास समर्थकों को मंत्री बनाना चाहते हैं। भाजपा के अंदर चल रही कसरत को इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। सिंधिया के दौरे की खबर से राजनीतिक सरगर्मी और तेज हो गई है।
दिनेश निगम ‘त्यागी