क्या सूर्य ग्रहण मचाएगा उथल-पुथल? ज्योतिषी ने की बड़े संकट की भविष्यवाणी

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इस साल का पहला सूर्य ग्रहण आज है। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा और यह खगोलीय घटना तब होती है जब सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी एक सीधी रेखा में आ जाते हैं। साल 2021 का पहला सूर्य ग्रहण गुरुवार दोपहर 1 बजकर 42 मिनट पर लग चुका है और ये शाम 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा. भारत में ये सूर्य ग्रहण अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों और लद्दाख में ही आंशिक रूप से दिखाई देगा।

आज लगने वाले इस सूर्य ग्रहण के दिन दुनियाभर के कई देशों में रिंग ऑफ फायर का नजारा भी दिखेगा। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा की परछाई सूर्य को करीब 94 फीसदी हिस्से को पूरी तरह से घेर लेती है। लिहाजा इस दौरान सूरज हीरे की अंगूठी की तरह चमकता दिखता है। विज्ञान की भाषा में इसे रिंग ऑफ फायर कहा जाता है।

ज्योतिषों के अनुसार, ग्रहण का मतलब है किसी चीज को कलंकित करना है। अगर ग्रहण संसार के मूल ऊर्जा स्त्रोत यानी सूर्य को लग जाए तो अनिष्ट होना निश्चित है। बता दे, इस बार का सूर्य ग्रहण खग्रास, रिंग ऑफ फायर या वलयाकार सूर्य ग्रहण है। ऐसे में देश-दुनिया पर इसका काफी प्रभाव पड़ेगा। इस सूर्य ग्रहण के कारण देश-दुनिया में कैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

ज्योतिषार्य के अनुसार, 26 मई को साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा था। ऐसे में अरुणाचल प्रदेश के अलावा भारत के कुछ ही हिस्सों में चंद्रग्रहण का नजारा देखने को मिला था। पर मूल रूप से चीन और अमेरिका में दिखाई दिया था। चंद्रगहण का सबसे ज्यादा प्रभाव जल यानी नदियों आदि पर होता है और सूर्य ग्रहण का बसे ज्यादा प्रभाव जन-जीवन, प्रकृति और प्लेटोनिक प्लेट्स पर पड़ता है।

बता दे, ये सूर्य ग्रहण वृष राशि में पड़ने जा रहा है। वृष राशि पृथ्वी तत्व की राशि है और मार्गशीर्ष नक्षत्र यानी मंगल के नक्षत्र में ये सूर्य ग्रहण पड़ेगा. ऐसे में मंगल और शुक्र एक दूसरे के घोर विरोधी माने जाते हैं। इस वजह से मंगल और शुक्र एक दूसरे के घोर विरोधी माने जाते हैं। जहां एक तरफ शुक्र सौंदर्य का स्वामी है, वहीं लड़ाई-झगड़े के लिए मंगल ग्रह को जिम्मेदार माना जाता है।

कहा जाता है कि शुक्र कामुकता का स्वामी है और मंगल भी पुरुष और अग्नि तत्व का स्वामी है। शुक्र आग्नेय दिशा को रूल करता है और मंगल दक्षिण दिशा को रूल करता है। ग्रह नक्षत्रों की इस स्थिति के अनुसार कहा जा सकता है कि देश-दुनिया में युद्ध या अग्निकांड जैसे हालात जन्म ले सकते हैं। दरअसल, मार्गशीर्ष नक्षत्र वायु तत्व का नक्षत्र है यानी वायु का प्रचलन करेगा. वृष राशि पृथ्वी को संबोधित करती है। इसका मतलब है कहीं न कहीं देश-दुनिया में युद्ध जैसी परिस्थितियां पैदा हो सकती हैं।