देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है, जहां लोग पतंग उड़ाते हैं और तिल-गुड़ के पकवान बनाते हैं, वहीं आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले के कोठापल्ली गांव में इस दिन को लेकर एक अलग ही मान्यता है। यहां के लोग मकर संक्रांति को अशुभ मानते हैं और कई सालों से इस त्योहार का बहिष्कार कर रहे हैं।
आंध्र प्रदेश के इस गांव में आखिर 200 सालों से क्यों नहीं मनाई गई मकर संक्राति
कोठापल्ली गांव में मकर संक्रांति का त्योहार पिछले 200 सालों से नहीं मनाया गया है। गांव के लोग मानते हैं कि उनके पूर्वज मकर संक्रांति के दिन ही इस दुनिया से विदा हो गए थे, और तब से इस दिन को अशुभ मानते हुए उन्होंने इस दिन को किसी भी प्रकार से मनाना बंद कर दिया।
एक अनोखी मान्यता का प्रभाव
कोठापल्ली गांव के लोग इस विश्वास से बंधे हुए हैं कि संक्रांति मनाना उनके लिए कष्टकारी हो सकता है, क्योंकि इस दिन उनके पूर्वजों की मृत्यु हुई थी। इस कारण से, गांव में हर साल मकर संक्रांति के दिन कोई उत्सव नहीं होता और यह दिन उनके लिए सादगी से बिताया जाता है।
तेलंगाना में मकर संक्रांति की धूम
वहीं आंध्र प्रदेश के कुछ अन्य हिस्सों में मकर संक्रांति के दिन खास परंपराएं होती हैं, जैसे कि मुर्गों की लड़ाई (कॉक फाइट)। यह परंपरा खासतौर पर तेलंगाना में बहुत प्रसिद्ध है, जहां लोग इस लड़ाई को देखने के लिए लाखों रुपये खर्च करते हैं। हालांकि, इस पर पहले बैन लगा था, लेकिन अब कुछ शर्तों के साथ इसे फिर से वैध कर दिया गया है।