क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि? जाने इसका महत्व व् शुभ मुहूर्त, और पूजा विधि

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भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह के पर्व महाशिवरात्रि का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. महाशिवरात्रि पर भगवान भोले नाथ की विशेष पूजा-आराधना की जाती है. हिंदू पंचांग के अनुसार महाशिवरात्रि का पर्व हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी,शनिवार को मनाया जाएगा. पौराणिक कथाओं के अनसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. इसी कारण से हर साल महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. ऐसी मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो लोग विधि-विधान से भगवान शिव की आराधना करते है उनकी हर एक मनोकामना जरूर पूरी होती है.

18 फ़रवरी को पड़ रही शिवरात्रि

इस बार महाशिवरात्रि का त्योहार 18 फरवरी 2023 को है. पंचांग गणना के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी को रात 08 बजकर 2 मिनट से शुरू होकर 19 फरवरी की शाम 04 बजकर 18 मिनट तक रहेगी.

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महाशिवरात्रि का महत्त्व

महाशिवरात्रि को शिव और शक्ति की मिलन की रात कहा जाता है। आध्यात्मिक रूप से इसे प्रकृति और पुरुष के मिलन की रात के रूप में बताया जाता है। शिवभक्त इस दिन शिवजी की शादी का उत्सव मनाते हैं। मान्यता है कि महाशिवरात्रि को शिवजी के साथ शक्ति की शादी हुई थी। इसी दिन शिवजी ने वैराग्य जीवन छोड़कर गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। शिव जो वैरागी थी, वह गृहस्थ बन गए। शिवभक्त इस दिन व्रत रखकर अपने आराध्य का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिरों में जलाभिषेक का कार्यक्रम दिन भर चलता है।

एक पौराणिक कथा के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन शिवजी पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था। ऐसा शिवलिंग जिसका ना तो आदि था और न अंत। बताया जाता है कि शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस के रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वह सफल नहीं हो पाए। वह शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग तक पहुंच ही नहीं पाए। दूसरी ओर भगवान विष्णु भी वराह का रूप लेकर शिवलिंग के आधार ढूंढ रहे थे लेकिन उन्हें भी आधार नहीं मिला।

पूजा विधि

महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सुबह जल्दी से उठकर स्नान करके सूर्यदेव का जल दें. फिर लोटे में गंगाजल या फिर पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर उसमें दूध मिलाकर, बेलपत्र, आक और धतूरे का फूल आदि डालकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए. महाशिवरात्रि पर शिवजी की आराधना के दौरान शिव चालीसा, महामृत्युंजय मंत्र और पंचाक्षर मंत्र ऊं नम: शिवाय का जाप करना चाहिए. शास्त्रों में शिव पूजा के लिए निशीथ काल में करना सर्वश्रेष्ठ रहता है.

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