शालिनी अवस्थी क्या
छत्तीसगढ़ की 36 भाजियां:
भाजी नंबर-5- लाल भाजी
अभी तक मैंने आपको ऐसे भाजियों के बारे में बताया है जो सभी जगह आसानी से उपलब्ध नहीं हो पाती लेकिन आज की हमारी लाल भाजी आप सबके लिए बिल्कुल अपरचित नहीं है। आप सभी ने इसका स्वाद कभी न कभी देश के हर कोने में लिया होगा। लाल भाजी का वैज्ञानिक नाम है ऐमरेथस ट्रिकलर। वैसे तो ये भाजी साल भर उपलब्ध है लेकिन बारिश का मौसम शुरू होते ही सुंदर लाल-लाल पत्तियों से सजी ये भाजी आपके किचन में आने को तैयार हो जाती है। इसके लाल रंग को देख कर ही आप समझ सकते है कि इसमें कितना आयरन है और ये भाजी हमारे शरीर मे रक्त की कमी को पूरा करने की ताकत रखता है। और अगर बात करें छत्तीसगढ़ की तो वो भाजियों के मामले में हमेशा सबसे दो कदम आगे है और ये लाल भाजी पर भी लागू होता है। छत्तीसगढ़ के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर में वैज्ञानिकों द्वारा लाल भाजी की एक नई किस्में विकसित की गई है जिसे नाम दिया गया है लाल भाजी-1 का। लाल भाजी की ये किस्म पुरानी लाल भाजी से लगभग डेढ़ गुना अधिक उपज देती है। इसका मतलब ये कि किसान 1 महीने के अंदर एक एकड़ में 50-60 हजार रुपये इस नए किस्म की लाल भाजी को उगाकर आमदनी प्राप्त कर सकते है। लाल भाजी में प्रोटीन, फाइबर, आयरन और कैल्शियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। लाल भाजी हमारे पेट को ठंडक पहुंचाती है, बुखार कम करती है और ब्रोंकाइटिस से लेकर रक्त संबंधी किसी भी बीमारी को ठीक करने का जादुई हुनर रखती है। तो इस सीजन में दाल-भात के साथ सूखी लाल मिर्च लहसुन और टमाटर के छौंक वाली लाल भाजी और आलू की सब्जी का स्वाद जरूर लें। गारंटी है इसे खा कर मन खुश हो जाएगा।