क्यों मनाया जाता है हेड एंड नेक कैंसर डे – डॉ. अखिलेश भार्गव

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प्रत्येक वर्ष जुलाई माह की 27 तारीख को हेड एंड नेक कैंसर डे मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से मुंह,दोनों गाल, मसूड़े, गले के मध्य भाग, गले के निचले हिस्से, स्वर यंत्र, लार ग्रंथि में होने वाले कैंसर की जागरुकता के लिए मनाया जाता है। यह एक तरफ़ लोगों में चेतना फैलाता है, वहीं दूसरी ओर नशे के लती लोगों के उपचार की दिशा में भी महत्त्वपूर्ण कार्य करता है। सभी कैंसर में लगभग 30 परसेंट कैंसर इसी के पाए जाते हैं। इस अवसर पर मादक पदार्थों से मुक़ाबले के लिए विभिन्न देशों द्वारा उठाये गये क़दमों तथा इस मार्ग में उत्पन्न चुनौतियों और उनके निवारण का उल्लेख किया जाता है। इस अवसर पर मादक पदार्थों के उत्पादन, तस्करी एवं सेवन के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराया जाता हैl

तंबाकू है मुख्य कारण

डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार भारत में 25 करोड़ से अधिक लोग सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, गुटखा, पान मसाला किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। पूरे विश्व में धूम्रपान करने वाले लोगों की 12% आबादी भारत में है, तंबाकू से संबंधित बीमारियों से लगभग 50 लाख लोग प्रतिवर्ष मारे जाते हैं। जिनमें करीब डेढ़ लाख महिलाएं हैं ।भारत पूरे विश्व में दूसरे नंबर पर है, जहां सबसे अधिक धूम्रपान किया जाता है। हर दिन लगभग 2500 लोगों की धूम्रपान से मौत होती है। एक सिगरेट पीने से जिंदगी के 11 मिनट कम हो जाते हैं।

महिलाओं में बढ़ती प्रवृत्ति

स्वास्थ्य मंत्रालय के जारी बयान के अनुसार शहरी क्षेत्रों में 6 प्रतिशत महिलाएं एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 12 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू से बने उत्पादों का सेवन करती हैं। महिलाओं में अधिक धूम्रपान का कारण स्तन कैंसर के रूप में भी देखा जा रहा है तंबाकू को लगातार सेवन करने से मुंह के अंदर की म्यूकोसा गलने लगती है।

यह लक्षण हो तो मिले डॉक्टर से

प्राथमिक अवस्था में रोगी को तीखा खाने में दिक्कत होने लगती है ।धीरे धीरे मुंह के अंदर सफेद निशान बनने लग जाते हैं। मुंह धीरे-धीरे कम खुलने लग जाता है और रोगी को खाना खाने में बहुत दिक्कत होती है ।लगातार सेवन करने से मुंह के अंदर अथवा जीभ पर घाव बन जाता है और यह कैंसर का कारण भी बन सकता है, तंबाकू का सेवन करने वाले व्यक्ति के दांत और मसूड़े धीरे-धीरे कमजोर होने लग जाते हैं, दांत जल्दी जल्दी गिर जाते हैं और मसूड़ों से खून निकलने लगता है। तंबाकू से बने उत्पादों के द्वारा धूम्रपान करने से कैंसर, हृदय रोग, डायबिटीज होने की संभावना रहती हैl

क्यों नहीं नशा छोड़ पाते लोग ?

सर्वे में देखा गया है कि 53% लोगों ने इसको छोड़ ना चाहा, किंतु वह नाकाम रहे, क्योंकि धूम्रपान से निकले केमिकल एवं निकोटिन नर्वस सिस्टम पर कार्य करता है , इसे लेने पर लोगों को कुछ समय के लिए बेहतर और तनाव रहित लगता है, किंतु यह एक मिथ्या भ्रम है ,धीरे-धीरे यह आदत शरीर को कंकाल बना देती हैl

नशा आज ही छोड़ें

सर्वप्रथम रोगी की आत्मशक्ति प्रबल होना चाहिए कि वह नशा छोड़ना चाहे। तंबाकू एवं तंबाकू के उत्पादों का सेवन करने वाले लोगों का साथ छोड़ना चाहिए, परिवार वालों के साथ अधिक समय देकर अपने आप को व्यस्त रखना चाहिए।

सरकार एवं निजी क्षेत्रों में नशा मुक्ति केंद्र संचालित हैं, उनकी सहायता लेना चाहिए। एफडीए द्वारा स्वीकृत निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी भी कारगर है ।मोबाइल में कुछ ऐप जैसे क्विट नाउ क्विट स्मोकिंग, क्विट ट्रैकर, स्टॉप स्मोकिंग ऐप पर धूम्रपान के नुकसान, इसको छोड़ने से होने वाले फायदे आदि की जानकारी उपलब्ध है यहां पर ऐसे व्यक्ति भी मिलेंगे जो धूम्रपान छोड़ चुके हैं और स्वस्थ हैं।

आयुर्वेद करेगा आपकी मदद

योगा, प्राणायाम के द्वारा तनाव मुक्ति एवं शरीर में बल की प्राप्ति होती है। पंचकर्म चिकित्सा द्वारा भी लाभ मिलता है, शिरोधारा के द्वारा रोगी को मानसिक तनाव एवं नींद आने में सहायता मिलती है। तुलसी के 3 से 5 ग्राम चूर्ण का प्रयोग करने से तनाव के प्रमुख कारण कोर्टिसोल में कमी आती है और रोगी को तनाव मुक्ति मिलती है।‌आयुर्वेद दवाइयों के प्रयोग से धूम्रपान छोड़ने में मदद मिलती है। अदरक, आंवला व हल्दी का चूर्ण उपयोगी है। मानसिक तनाव को दूर करने हेतु अश्वगंधा, ब्राह्मी, मंडूकपर्णी उपयोगी है। यदि रोगी को नींद नहीं आए तो चिकित्सक की देखरेख में सर्पगंधा चूर्ण ले सकते हैं।

भूख ना लगने पर चित्रक, त्रिकटु, अजवाइन, सौंफ आदि का प्रयोग किया जा सकता है। उल्टी का मन होने पर बड़ी इलायची का चूर्ण लाभदायक है। यदि रोगी को कब्ज जाने लगे तो आंवला, हरीतकी, सनाय आदि लाभदायक है। सभी दवाइयां चिकित्सक की देखरेख में लेना चाहिए। आजकल बाजार में ब्राह्मी, तुलसी, मुलेठी, सोंठ, पिपरमेंट आदि से बनी हुई सिगरेट भी उपलब्ध है एवं इसके चूर्ण का प्रयोग भी तंबाकू के स्थान पर बेहतर विकल्प है, अनार के छिलके को पीसकर उसमें कत्था, आमलकी, अल्प मात्रा में काली मिर्च और तुलसी मिलाकर तंबाकू के स्थान पर प्रयोग में लिया जा सकता है।

अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में कैंसर के मरीजों को मिल रही मदद

अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज, लोकमान्य नगर में प्रतिवर्ष लगभग 500 मरीज विभिन्न प्रकार के कैंसर का आयुर्वेदिक दवाओं के द्वारा इलाज कराने के लिए आते हैं और उनको राहत भी मिलती है।