अर्जुन राठौर
इंदौर का आरटीओ विभाग इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि यहां पर सालों से जमे कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ अज्ञात व्यक्तियों द्वारा शिकायती पत्र भेजकर इनके द्वारा किए जा रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया जा रहा है। हालत इतनी बदतर है कि मामला प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंच गया है और अब आरटीओ विभाग ने खुद परेशान होकर पुलिस को इस मामले की जांच सौंपी है कि आखिर यह शिकायतें कर कौन रहा है?
सभी जानते हैं कि आरटीओ विभाग में काम कराने के लिए दलालों से लेकर कर्मचारियों तक को सेट करना पड़ता है और यह सेटिंग किस तरह से होती है। इसकी भी जानकारी इंदौर के हर नागरिक को ऐसी स्थिति में आरटीओ सबसे मलाईदार विभाग है और जहां पोस्टिंग कराने तथा जमे रहने के लिए कर्मचारी और अधिकारी पूरी ताकत लगा देते हैं। राजनैतिक पकड़ से लेकर अन्य सभी मामलों में यहां के अधिकारी और कर्मचारी सिद्धहस्त हो गए हैं
और यही वजह है कि सालों से जमे हुए अधिकारियों और कर्मचारियों के कारनामों को अज्ञात व्यक्तियों द्वारा लगातार प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर मुख्यमंत्री निवास और अन्य सक्षम एजेंसियों तक पहुंचाया जा रहा है, जो शिकायतें की जा रही है। उनसे स्पष्ट जाहिर होता है कि यह पूरा मामला विभागीय विवाद का है और जिन लोगों को यहां पर मलाईदार पोस्ट नहीं मिल रही है। वही असंतुष्ट गुट बनाकर इस काम को अंजाम दे रहे हैं।
शासन का नियम है कि किसी विभाग में 3 वर्ष से अधिक किसी कर्मचारी और अधिकारी को नहीं रखा जा सकता लेकिन आरटीओ में सालों से कर्मचारी और अधिकारी जमे हुए हैं यदि विभागीय मंत्री और विभाग के सचिव द्वारा यहां पर सफाई अभियान चलाया जाता है तो कई कर्मचारियों के तबादले अन्य जिलों में हो सकते हैं।