दमोह में क्यों जीती कांग्रेस, सकते में भाजपा

Ayushi
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दिनेश निगम ‘त्यागी’

भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व जहां पश्चिम बंगाल में अपनी हार को नहीं पचा पा रहा तो प्रदेश नेतृत्व दमोह में पराजय को लेकर सकते में है। पश्चिम बंगाल में हार न पचा पाने की वजह यह है कि वहां सरकार बनाने के दावे किए जा रहे थे और पार्टी 2019 में हुए लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन ही नहीं दोहरा सकी। तब भाजपा को 18 लोकसभा सीटों में जीत के साथ 121 विधानसभा सीटों में जीत मिली थी जबकि अब पार्टी लगभग 75 सीटों पर ही सिमट गई। इधर पश्चिम बंगाल की तरह दमोह में सिर्फ भाजपा दिखाई पड़ रही थी। पार्टी के सभी दिग्गज ताकत झोंके थे। मुकाबले में अकेले कांग्रेस प्रत्याशी अजय टंडन दिखाई पड़ रहे थे लेकिन भाजपा के लाव-लश्कर के सामने वे अकेले भारी पड़ गए। नतीजा, इसे लेकर मंथन होना था तो भाजपा में हो रहा है। दमोह में हार के कारण तलाशे जा रहे हैं। जिन्हें जवाबदारी सौंपी गई थी, उनसे जवाब तलब किया गया है।

भाजपा नेतृत्व खोज रहा हार के कारण
– प्रदेश का भाजपा नेतृत्व आपसी आरोप-प्रत्यारोप के बीच दमोह में हार के कारणों की खोज कर रहा है। एक पक्ष यह है कि भाजपा प्रत्याशी राहुल लोधी ने पूर्व मंत्री जयंत मलैया पर भितरघात का आरोप लगाया है। नरोत्तम मिश्रा ने भी कहा है कि हम अपने जयचंदों की वजह से हारे। केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने भी किसी षडयंत्र की ओर इशारा किया है। साफ है कि एक पक्ष मानता है कि पार्टी नेताओं की भितरघात की बदौलत दमोह में हार हुई। दूसरा पक्ष जयंत मलैया ने रखा है। उनका कहना है जनता राहुल लोधी को प्रत्याशी के रूप में पसंद नहीं कर रही थी। इसीलिए एक भी चक्र में भाजपा आगे नहीं हुई। तो क्या कांग्रेस राहुल द्वारा की गई गद्दारी का मुद्दा भुनाने में कामयाब रही। तीसरा, कहा जा रहा है कि इस बार कांग्रेस के अजय टंडन को जिताने का मतदाताओं ने मन बना लिया था। वे दो चुनाव हार चुके थे और उनकी क्षेत्र में अच्छी पकड़ है। अनुभव के मामले में भी वे राहुल से इक्कीस साबित हुए।

लोधी बनाम अन्य बन गया था उप चुनााव
– भाजपा ने दमोह में पार्टी के लगभग सभी लोधी नेताओं को मैदान में उतार दिया था। राहुल के लिए उमा भारती, प्रहलाद पटेल, प्रद्युम्न सिंह लोधी सहित लगभग सभी लोधी नेताओं ने क्षेत्र में डेरा डाल दिया था। इसलिए कांग्रेस ने राहुल की गद्दारी के साथ लोधी बनाम अन्य का कार्ड चला। माना जा रहा है कि कांग्रे्रस अपनी मुहिम में कामयाब रही और उप चुनाव का पूरा प्रचार अभियान लोधी बनाम अन्य में तब्दील हो गया। इसे भांप कर ही हालांकि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने अन्य समाजों को साधने की कोशिश की लेकिन वे सफल नहीं हो सके। नतीजे में भाजपा को बुरी पराजय का सामना करना पड़ा।

मलैया पर कार्रवाई से बचेगी भाजपा
– राहुल लोधी, नरोत्तम मिश्रा एवं प्रहलाद पटेल के बयानों एवं ट्वीट से साफ है कि भाजपा में एक खेमा भितरघात करने वालों के खिलाफ कार्रवाई चाहता है। निशाने पर पूर्व मंत्री जयंत मलैया और उनके बेटे सिद्धार्थ ही हैं। पार्टी सूत्रों पर भरोसा करें तो नेतृत्व मलैया के खिलाफ कोई कार्रवाई करने के मूड में नहीं है। कांग्रेस से आए नए नवेले नेता के लिए पार्टी अपने पुराने कद्दावर नेता जयंत मलैया पर कार्रवाई करने से कतरा रहीं है। इसलिए संभव है कि किसी पर कार्रवाई न हो, अलबत्ता भविष्य में पार्टी सोच समझ कर ही कांग्रेस से आए नेताओं को चुनाव में टिकट देने का मन बना रही है।