छत्तीसगढ़ के बीजापुर में साहसी पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। 1 जनवरी से लापता मुकेश का शव 3 जनवरी को बीजापुर की चट्टानपारा बस्ती में स्थित सड़क ठेकेदार सुरेश चंद्राकर के फार्म हाउस के सेप्टिक टैंक से बरामद हुआ। उनकी मौत ने पत्रकारों और समाज में गुस्से और शोक की लहर पैदा कर दी है।
पत्रकारिता का जांबाज चेहरा थे मुकेश चंद्राकर
मुकेश चंद्राकर अपनी तेज-तर्रार और साहसिक पत्रकारिता के लिए पहचाने जाते थे। वे एक बड़े मीडिया संस्थान से जुड़े होने के साथ ही अपना यूट्यूब चैनल भी चलाते थे, जिस पर डेढ़ लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स थे। उनकी रिपोर्टिंग ने न केवल भ्रष्टाचार के कई मामलों को उजागर किया, बल्कि कई पीड़ितों को न्याय भी दिलाया।
उनकी पत्रकारिता का सबसे चर्चित पल तब आया जब उन्होंने नक्सलियों के कब्जे से एक सीआरपीएफ जवान को छुड़ाया। 2021 में नक्सली हमले के दौरान अगवा किए गए जवान को अपनी बहादुरी से वापस लाने के लिए मुकेश ने नक्सलियों से सीधी बातचीत की और उन्हें अपनी बाइक पर बैठाकर सुरक्षित घर ले आए।
ले आये @crpfindia के वीर जवान को।@AmitShah @HMOIndia @ipskabra @ipsvijrk @IpsDangi @IPS_Association @bhupeshbaghel @tamradhwajsahu0 pic.twitter.com/sxIljeUnAd
— Mukesh Chandrakar (@MukeshChandrak9) April 8, 2021
भ्रष्टाचार उजागर करने की कीमत चुकाई?
पत्रकार मुकेश ने हाल ही में सड़क निर्माण में हुए घोटाले को उजागर किया था। आरोप है कि ठेकेदार सुरेश चंद्राकर, जो उस सड़क निर्माण से जुड़ा था, ने अपने भाई और सहयोगियों के साथ मिलकर मुकेश की हत्या की। मुकेश के भाई युकेश चंद्राकर का कहना है कि यही खुलासा उनकी हत्या की वजह बना।
1 जनवरी से लापता, 3 जनवरी को शव बरामद
मुकेश चंद्राकर 1 जनवरी से गायब थे। उनका फोन स्विच ऑफ जा रहा था, जिससे परिवार और दोस्त चिंतित हो गए। 3 जनवरी को उनका शव सुरेश चंद्राकर के फार्म हाउस के सेप्टिक टैंक में मिला। पुलिस ने मौके से सबूत जुटाए हैं और सुरेश के भाई सहित तीन संदिग्धों को दिल्ली से हिरासत में लिया है। पुलिस उन्हें बीजापुर लेकर आई है और उनसे गहन पूछताछ जारी है।
नक्सलियों के गढ़ में भी किया रिपोर्टिंग
मुकेश ने नक्सलियों के गढ़ में रहकर न केवल उनकी गतिविधियों पर रिपोर्टिंग की बल्कि स्थानीय भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के मामलों को भी उजागर किया। उनकी साहसिक पत्रकारिता ने कई बार लोगों का ध्यान खींचा और उन्हें नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी सम्मान दिलाया।
पत्रकारों और समाज में शोक और गुस्सा
मुकेश चंद्राकर की हत्या ने देश के पत्रकारों और आम जनता को गहरे सदमे में डाल दिया है। पत्रकारिता जगत में इसे स्वतंत्र और साहसी पत्रकारों पर एक और हमला माना जा रहा है। अब यह देखना होगा कि पुलिस और प्रशासन दोषियों को सजा दिलाने में कितना कारगर साबित होते हैं। पत्रकारों और सामाजिक संगठनों ने मुकेश चंद्राकर के हत्यारों को सख्त सजा देने और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।