Who is Telangana Thalli: तेलंगाना में कांग्रेस सरकार की विवादास्पद निर्णय को लेकर एक नया विवाद उभरा है। राज्य की पहचान मानी जाने वाली ‘तेलंगाना थल्ली’ की नई मूर्ति के डिजाइन को लेकर राजनीतिक दलों के बीच कड़ी प्रतिक्रिया आ रही है। रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार ने तेलंगाना राज्य सचिवालय में इस नई मूर्ति का अनावरण किया, लेकिन इस पर भारत राष्ट्र समिति (BRS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) दोनों ने विरोध जताया है। खास बात यह है कि इस मूर्ति का लोकार्पण पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के जन्मदिन 9 दिसंबर को किया जा रहा है, जो विरोध का एक और कारण बना है।
कौन हैं तेलंगाना थल्ली?
‘तेलंगाना थल्ली’ एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीक है, जिसे तेलंगाना राज्य के लोग अत्यधिक सम्मान देते हैं। तेलंगाना थल्ली को समृद्धि और देवी के रूप में पूजा जाता है, और यह राज्य के लोगों की संघर्षशील पहचान का प्रतीक मानी जाती है। तेलंगाना आंदोलन के दौरान, इस देवी की छवि का उपयोग राज्य के अलगाव की मांग को प्रदर्शित करने के लिए किया गया था, और यह स्थानीय रूप में तेलंगाना थल्ली के रूप में प्रकट हुई।
इस मूर्ति का पहला डिजाइन 2003 में निर्मल जिले के निवासी बी वेंकटरमण द्वारा तैयार किया गया था, और इसे हैदराबाद स्थित टीआरएस (अब बीआरएस) मुख्यालय में स्थापित किया गया था। तेलंगाना थल्ली का महत्व आंदोलन के दौरान और राज्य निर्माण के बाद गहरे रूप से जुड़ा हुआ है, और यह राज्य की सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व करती है।
नई मूर्ति और पुराने डिजाइन में अंतर
नई मूर्ति को लेकर आलोचना का मुख्य कारण इसकी डिजाइन में किए गए बदलाव हैं। पुरानी मूर्ति में कई सांस्कृतिक और प्रतीकात्मक तत्व थे, जो राज्य के इतिहास और संस्कृति को दर्शाते थे। इसमें एक मुकुट था, जो राज्य की समृद्धि का प्रतीक था, और एक हाथ में मक्का था, जो तेलंगाना की समृद्धि को दर्शाता था। इसके अलावा, मूर्ति के पास वथकम्मा कलश था, जो तेलंगाना के प्रमुख त्योहार का प्रतीक था, और इसे गुलाबी रेशम की साड़ी पहनाई गई थी, जो पोचमपल्ली के मशहूर रेशम का प्रतीक था।
वहीं, पुराने डिजाइन में मूर्ति के पैर की अंगूठियां विवाहित महिलाओं का प्रतीक थीं, जो करीमनगर के चांदी के आभूषणों का प्रतिनिधित्व करती थीं। इसके अतिरिक्त, मूर्ति में सोने का कमरबंद भी था, जो राज्य की समृद्धि और आभूषणों की समृद्ध परंपरा का प्रतीक था।
अब, नई मूर्ति में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। इसमें मुकुट नहीं है और वथकम्मा कलश को हटा दिया गया है। साड़ी का रंग भी बदलकर हरा कर दिया गया है, जबकि पुरानी मूर्ति में गुलाबी रेशम की साड़ी थी। नई मूर्ति में कमरबंद का भी अभाव है, जो पुरानी मूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
कांग्रेस और विपक्षी दलों के आरोप
इस नए डिजाइन को लेकर विवाद इस तथ्य पर केंद्रित है कि कांग्रेस सरकार ने इसे राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित होकर बदला है। बीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव (KCR) ने आरोप लगाया है कि तेलंगाना सरकार ने ‘तेलंगाना थल्ली’ की पारंपरिक छवि को जानबूझकर बदल दिया है। उनका कहना है कि यह कदम राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है, खासकर सोनिया गांधी को खुश करने के लिए, जिनके जन्मदिन पर इस मूर्ति का उद्घाटन किया जा रहा है।
बीजेपी ने भी इस पर आलोचना की है, और आरोप लगाया है कि कांग्रेस सरकार राज्य की सांस्कृतिक पहचान से छेड़छाड़ कर रही है और इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल कर रही है। बीजेपी का कहना है कि रेवंत रेड्डी, जो सोनिया गांधी को ‘तेलंगाना की मां’ के रूप में संबोधित करते हैं, अब अपनी पार्टी की राजनीति को मजबूत करने के लिए राज्य की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान से खिलवाड़ कर रहे हैं।