हिन्दू धर्म में भगवान विष्णु की मान्यता काफी अत्यधिक है, पौराणिक कथाओ में भगवान विष्णु का वर्णन सबसे जयदा देखने को मिलता है। विष्णु भगवान के कई रूप है जैसे भक्त प्रह्लाद के लिए नरसिंह अवतार,मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम, श्री कृष्ण आदि भगवान विष्णु के रूप है। भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा जो भी भक्त सच्चे मन से करते है उनकी हर मनोकामना पूर्ण होती है और घर में धन, वैभव, संतोष इन सब की असीम कृपा इनके आशीर्वाद से होती है। कहते हैं सच्चे मन से उनकी पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु जरूर पूरा करते हैं। हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार भगवान विष्णु की पूजा का दिन गुरुवार होता है।
जो भी व्यक्ति को भगवान विष्णु की विधिवत पूजा गुरुवार के दिन करते है उन्हें जीवन के सभी संकटों से छुटकारा मिलता है। भगवान विष्णु जगत के पालनहार है इनकी महिमा अपरम्पार है जो भी इनके दर आता है कभी खाली हाथ नहीं लौटता है।बता दें कि शास्त्रों के अनुसार भगवान विष्णु के तीन अवतारों ने तीन गुरुओं शिक्षा ग्रहण की थी। भगवान् विष्णु ने अपने गुरु से अस्त्र-शस्त्र चलाने से लेकर नीति तक के बारे में सब कुछ सीखा था। जब भी
भगवान विष्णु की कोई प्रतिमा या तस्वीर देखते है उनके हाथो में एक सुदर्शन चक्र नजर आता है जिसकी कहहनी हम आपको बताते है।एक बार जब असुरो का अत्याचार बहुत बढ़ गया था, तब सभी देवता ने भगवान विष्णु से देत्यो और असुरो के वध करने की प्राथर्ना की तो दैत्यों का नाश करने के लिए भगवान विष्णु कैलाश पर्वत पर जाकर भगवान शिव की उपासना करने लगे. वह एक हजार नामों से भगवान शिव की स्तुति करने लगे। भगवान विष्णु प्रत्येक नाम पर एक कमल का फूल भगवान शिव को चढ़ाते तब भगवान शंकर ने विष्णु की परीक्षा लेने के लिए उनके द्वारा लाए एक हजार कमल में से एक कमल का फूल छिपा दिया लेकिन शिव की माया के कारण विष्णु को यह पता न चला। एक फूल कम पाकर भगवान विष्णु उसे ढूंढने लगे, लेकिन फूल नहीं मिला. तब भगवान विष्णु ने एक फूल की पूर्ति के लिए अपना एक नेत्र निकालकर शिव को अर्पित कर दिया, जिसके बाद भगवान् शिव ने प्रसन्न होकर देत्यो से मुक्ति पाने के लिए विष्णु को सुदर्शन चक्र प्रदान किया, जिसके बाद देवताओं को दैत्यों से मुक्ति मिली।