किसे चोर माने किसे नहीं

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नितेश पाल

माफियाओं मप्र की धरती छोड़ दो… ये भाषण लगातार पिछले कुछ दिनों से प्रदेश के मुखिया के मुंह से सुन रहा हूं। सुनने में ये अच्छा भी लग रहा है। इंदौर में सबसे पहले माफियाओं पर कार्रवाई शुरू हुई थी। उस समय विपक्ष में रही भाजपा के कई नेताओं ने माफिया मुहिम में भाजपा नेताओं पर जानबुझकर कार्रवाई करने का आरोप कांग्रेस पर लगाया था। जिला प्रशासन ने भी शहर में राशन माफिया पर कार्रवाई की। मंगलवार को इंदौर के कलेक्टर ने ऐसे ही दो माफियाओं पर रासुका लगाने की बात कही। इसके बाद सोशल मीडिया पर दोनों ही के फोटो आने लगे। एक संघ की गणवेश में और दूसरे के कांग्रेस नेता के साथ गलबहियां करते। इन फोटो ने एक बात तो सपष्ट कर दी कि डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और गुरुजी ने मानवसेवा को माधवसेना मानने के लक्ष्य के साथ दुनिया के सबसे बड़े संगठन को गढ़ा था, उसमें भी बुराईयां आना शुरू हो गई है।

संघ के जितने भी मित्र मिलते हैं, वे हमेशा हर मुद्दे पर बौद्धिक देते हैं, उनकी कुछ बातों से सहमत भी होता हूं और कुछ बातों से असहमत। हर बुराई के खिलाफ लड़ाई लडने के लिए अग्रिम पंक्ति में रहने वाले संघ के स्वंयसेवक द्वारा गरीबों के राशन में घोटाले के इस आरोप ने संघ की नवपीढी़ को मिल रहे संस्कारों को लेकर चिंता में डाल दिया। कभी लगता है की द्वितीय सरसंघचालक माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर (गुरूजी) ने जनसंघ की स्थापना के पूर्व राजनीति को लेकर जो अंदेशा जताया था कि ये स्वंयसेवकों को भी दूषित कर देगी, क्या वो सही साबित हो रहा है।

यदि ऐसा हो रहा है तो ये संघ के लिए काफी चिंता का विषय है। संघ में बौद्धिक रुप से काफी समृद्ध लोग मौजूद हैं। वे ये कहकर की इतने बड़े संगठन में कुछ गंदगी आ सकती है नहीं बच सकते हैं। यदि कोई गंदा व्यक्ति शाखा में आ रहा है और फिर भी वो गंदा काम ही कर रहा है, उसके विचारों में परिवर्तन नहीं हो रहा है तो ये साफ है कि संघ की शैली और शिक्षा में कोई कमी रह रही है। यदि गंगा में नाले आकर मिलते हैं तो वे भी गंगा ही माने जाते हैं। उनकी गंदगी गंगा खुद दूर कर देती है। यदि गंगा उनकी गंदगी को खत्म नहीं कर पा रही है तो फिर ये तय है कि गंगा दूषित हो गई है।

कांग्रेस नेता के भी करीबी पर कार्रवाई होना ये बात साफ करता है कि राजनीति का दूसरा नाम गंदगी ऐसे लोगों के कारण ही पडा है। नेताओं के साथ रहने वाले ही उनकी छवि बनाते और बिगाड़ते हैं, ऐसे लोग उनकी क्या छवि शहर में पहुंचाएंगे। इसको नेताओ को ध्यान में रखने की जरूरत है। लेकिन आजकल नया फैशन हो गया है, ऐसे लोगो को बचाने का। लगभग 6 साल पहले भी भाजपा सरकार में ऐसे ही एक नकली घी माफिया पर कार्रवाई की गई थी। उस पर भी रासुका लगी थी। लेकिन बाद में वो भाजपा ओर कांग्रेस के नेताओ से बराबर सम्बन्ध निभा रहा है। इतने दिनों से कार्रवाई में उसका नाम तक नही आया। ये भी एक सोच का विषय है।