नई दिल्ली: कोविड -19(Covid -19) महामारी ने चुनौतियों को बढ़ा दिया है और विशेष रूप से हाशिए पर जी रहे/ कुष्ठ से प्रभावित लोगों की अधिक अनदेखी हुई है। इन पर पुन: ध्यान केंद्रित करने और लोगों को सक्षम करने की आवश्यकता पर बल देते हुएकुष्ठ उन्मूलन के लिए डब्ल्यूएचओ(WHO) के गुडविल एंबेसडर योहेई सासाकावा ने कहा, “कोरोनावायरस महामारी का प्रभाव पहले से ही मुश्किल हालात में जी रहे कुष्ठ रोग से प्रभावित लोगों और उनके परिवारों पर विशेष रूप बहुत ज्यादा पड़ा है।
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लॉकडाउन और वायरस के प्रसार को रोकने के लिए अन्य उपायों ने स्थानीय स्तर पर कई समस्याएं पैदा की हैं, जिससे चिकित्सा सेवाओं तक पहुंच मुश्किल हो गई, आजीविका का नुकसान हुआ और पहले से ही छुआछूत व भेदभाव का सामना कर रहे कुष्ठ रोग पीड़ितों के लिए मुश्किलें और बढ़ गईं। उन्हें नहीं भुलाया जाना चाहिए।” सासाकावा कुष्ठ (हैनसेन रोग) पहल के तहत अगस्त,2021 में “डोंट फॉरगेट लेप्रोसी” (कुष्ठ रोग को न भूलें) अभियान शुरू कियागया था। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि महामारी के दौर में भी हैनसेन रोग के नाम से जाने जाने वाले कुष्ठ रोग के खिलाफ प्रयास शिथिल न पड़ जाएं।
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30 जनवरी को विश्व कुष्ठ दिवस मनाया गया है। इस मौके पर सासाकावा-इंडिया लेप्रोसी फाउंडेशन (एस-आईएलएफ) ने विभिन्न एनजीओ वकुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों के संगठनों समेत 32 संगठनों, शोध संस्थानों और बांग्लादेश, ब्राजील, भारत, इंडोनेशिया, नेपाल, नाइजीरिया, पापुआ न्यू गिनी, पुर्तगाल, सेनेगल, सिएरा लियोन, तंजानिया, युगांडा और यूनाइटेड किंगडम की सरकारी एजेंसियों के साथ मिलकर डोंट फॉरगेट लेप्रोसी का संदेश प्रसारित करने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय अभियान में भाग लिया।