Indore : शहर में व्हाइट कॉलर क्राइम 10 प्रतिशत से ज्यादा बढ़े, युवाओं में अपराध की वजह नशा – हाई कोर्ट एसोसिएशन अध्यक्ष सूरज शर्मा

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इंदौर। शहर में दिन ब दिन क्राइम बढ़ रहा है, अगर बात व्हाइट कॉलर क्राइम की करी जाए तो हर साल 10 प्रतिशत की बढ़त हो रही है, इसमें कुछ सालों में अचानक उछाल आया है, यह एक लार्ज स्केल में बड़ रहे हैं, जिसमें 420, 468, 469 और अन्य धाराओं के संगीन अपराध सामने आते हैं। जिसमें धोखाधड़ी, प्रॉपर्टी, और अन्य केस में बढ़ोतरी हुई है। शिक्षित वर्ग के लोग इस तरह के क्राइम में ज्यादा इन्वॉल्व है। कई केस तो ऐसे होते हैं कि अवैध कॉलोनी बनाकर प्लॉट काट दिए, एक प्रॉपर्टी दो लोगो को बेच दी, फर्जी दस्तावेज बना लेना, फर्जी नक्शा बनाना शामिल है। यह बात इंदौर हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सूरज शर्मा ने कही।

पिताजी चाहते थे में सरकारी नौकरी करूं, खुद को पहचाना कि मुझसे दबाव में काम नही होगा

वह लगातार दूसरी बार अध्यक्ष पद पर है। उन्होंने अपनी एलएलबी की पढ़ाई गवर्मेंट आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज से की है, इसी के साथ एमए हिंदी लिटरेचर और एमए इंग्लिश लिटरेचर की पढ़ाई की है। 1999 में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपनी प्रैक्टिस की शुरुआत की इस दौरान डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में भी बार एसोसिएशन के पद पर अपनी सेवाएं दी।इसके बाद 2010 में हाई कोर्ट में डिप्टी गवर्मेंट एडवोकेट के रूप में अपनी सेवाएं दी, वही कुछ समय बाद गवर्मेंट एडवोकेट के पद पर चयन हुआ।

इसी के साथ हाई कोर्ट के बार एसोसिएशन में वाइस प्रेसिडेंट के पद पर भी रहे। वह बताते हैं कि वह मध्यप्रदेश के मुरैना जिले से है। उनके पिताजी ने खाद्य विभाग में फूड ऑफिसर के पद पर अपनी सेवाएं दी, उनके काम, मेहनत और प्रेशर को मैने करीब से देखा और यह जाना कि इतना सब कुछ मेरे लिए संभव नही होगा, हालांकि पिताजी की इच्छा थी कि में भी सरकारी नौकरी करूं, लेकिन मैंने खुद को पहचाना कि मुझमें किसी दबाव में काम करने की क्षमता नहीं है, इसलिए वकालत को चुना।

सूरज शर्मा क्रिमिनल लॉयर है वह बताते हैं कि कई बार होती है कोर्ट में तिखी नोंक झोंक

वह बताते हैं कि शुरुआत से ही क्रिमिनल केस देखने में रुचि थी। जब गवर्मेंट एडवोकेट थे,तब भी कई केस की पैरवी की है, और ज्यादातर केस में सत्य को विजय दिलवाई है। इसी के साथ प्राइवेट प्रैक्टिस में भी 302, 376, एनडीपीएस और अन्य केस में अपना बेहतर दिया है, और सत्य को विजय दिलवाई है। वह बताते हैं कि कई बार कोर्ट में दूसरे पक्ष के वकील से तिखी नोंक झोंक हो जाती है, यह स्वाभाविक है, ह्यूमन नेचर होता है, लेकिन बाहर आकर दौबारा एक जगह बैठते हैं, हम पक्षकार की बातों को कोर्ट में रखते हैं, हमारा व्यक्तिगत कुछ नहीं। जब हमने शुरूआत की थी तो इस तरह की टेक्नोलॉजी नही हुआ करती थी, हमें साइटेशन ढूंढने के लिए किताबों में देखना होता था, आज के दौर में तो एक क्लिक पर सब उपलब्ध है।

आजकल के बच्चों में क्राईम की वजह है नशा और इससे उपजी मानसिकता।

वह बताते हैं कि आजकल बच्चों में नशे के मामले बढ़ते जा रहे है, इसकी वजह से समाज में अपराध बढ़ रहा है, नशे की हालत में वह अपराध को अंजाम देते हैं, हाल ही में इंदौर में प्रिंसिपल विमुक्ता शर्मा की पेट्रोल डालकर आग लगाने की घटना इसी मानसिकता की उपज है, सरकार और हर विभाग को इसके प्रति सख्त होने की जरूरत है।

वकालत में धैर्य और कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है।

वकालत से बेहतर समाज सेवा का कोई विकल्प नहीं है, वकालत में सबसे ज्यादा धैर्य और कठिन परिश्रम की आवश्यकता होती है। हमने अपने सीनियर से यह सीखा है कि वक्त पर कोर्ट आकर यहां ज्यादा समय देना चाहिए। वकालत में संभावनाएं कभी खत्म नहीं होती है, अगर आप 45 साल के बाद अपने अनुभव और मेहनत की बदौलत एक वकील हाई कोर्ट जज बन सकता है।