जब 13 दिनों में घुटनों पर आया ‘पाकिस्‍तान का गुरूर’, भारतीय सेना ने पाक सेना को धूल चटाकर दुनिया को दिखाया था अपना दम, जानें विजय दिवस के बारे में खास बातें

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आज, भारत में विजय दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस दिन को विशेष रूप से 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारत की ऐतिहासिक जीत और पाकिस्तान के समर्पण की याद में मनाया जाता है। विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया है, जिसमें भारतीय सेनाओं की वीरता और बलिदान को याद किया गया। विशेष झांकियां भी निकाली जा रही हैं।

कोलकाता स्थित भारतीय सेना की पूर्वी कमान, फोर्ट विलियम में विजय दिवस समारोह आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय थल सेना, नौसेना और वायु सेना के अधिकारियों के अलावा बांग्लादेश के सैनिक भी शामिल हुए।

इन लोगों ने दी श्रद्धांजलि

विजय दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

राष्ट्रपति ने दी श्रद्धांजलि

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर लिखा, “विजय दिवस पर उन सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि, जिन्होंने 1971 के युद्ध में भारत को विजय दिलाई। राष्ट्र हमेशा उन वीरों के बलिदान को याद करता है और करता रहेगा।”

प्रधानमंत्री ने दी श्रद्धांजलि

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लिखा, “विजय दिवस के अवसर पर हम उन सैनिकों के साहस और बलिदान को नमन करते हैं, जिन्होंने भारत की ऐतिहासिक जीत में योगदान दिया। उनका बलिदान और समर्पण इतिहास में अमिट रहेगा।”

रक्षा मंत्री ने दी श्रद्धांजलि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “आज का दिन भारत के लिए बहुत खास है। देश भारत के सशस्त्र बलों की बहादुरी और बलिदान को सलाम करता है। भारत कभी भी उनके बलिदान को नहीं भूलेगा।”

13 दिनों में घुटनों पर आया था ‘पाकिस्‍तान का गुरूर’

1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पाकिस्तान की सेना के जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाज़ी ने 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों के साथ भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। 3 दिसंबर 1971 को पाकिस्तान ने भारतीय वायुसेना के 11 ठिकानों पर हमला किया और राजस्थान के लोंगेवाला पोस्ट पर 2000 पाकिस्तानी सैनिकों ने 65 टैंकों और एक मोबाइल इन्फेंट्री ब्रिगेड के साथ हमला किया। इसके बाद लगभग 13 दिनों तक युद्ध हुआ, और अंततः 16 दिसंबर 1971 को पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। इस घटना के साथ बांग्लादेश नामक नया राष्ट्र अस्तित्व में आया।