कब है शीतला अष्टमी, जानें बसौड़ा पूजन का महत्व, इस विधि से करें माता की विशेष पूजा अर्चना , बीमारियां रहेगी कोसों दूर

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Sheetala Mata Puja: हिंदू मान्यता के मुताबिक चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को शीतला माता की पूजा का विधान है। होली के 6 दिन बाद शीतला अष्टमी का पर्व विशेष अर्चना के साथ मनाया जाता है। जानें शीतला माता की पूजा का महत्व।

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हिंदू धर्म शास्त्र में अनेक देवी-देवता उपस्थित हैं।यहां हर देवी देवता की खास और विशेष पूजा पाठ का महत्व है। इन्हीं में से एक है शीतला देवी। विवाह आदि से पहले शीतला माता की पूजा का विधान है। वहीं, होलिका पूजन के ठीक 6 दिन बाद शीतला माता की पूजा की जाती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि के दिन शीतला अष्टमी पर्व मनाया जाता है। इस दिन बासी भोजन का भोग लगाया जाता है। इसलिए इसे बसौड़ा, बसोरा आदि के नाम से भी जाना जाता है।

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शीतला सप्तमी को बसौड़ा पूजन भी कहते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है। शीतला अष्टमी का त्योहार होली से ठीक आठ दिन बाद आता है। इस साल शीतला अष्टमी 15 मार्च 2023 को मनाई जाएगी।

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शास्त्रों के मुताबिक इस दिन देवी को भोग में ठंडे पकवान चढ़ाएं जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि शीतला माता की पूजा करने से शीतजन्य रोग जैसे चेचक, खसरा आदि जैसे बीमारियां नहीं होती हैं। चलिए जानते हैं इस बार कब की जाएगी देवी शीतला की पूजा और पूजन विधि के विषय में जानकारी।

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हिंदू धार्मिक पंरपराओं के मुताबिक शीतला माता की पूजा 2 दिन तक की जाती है। कहीं चैत्र माह की सप्तमी तिथि के दिन शीतला माता की पूजा की जाती है, तो कहीं चैत्र माह अष्टमी तिथि के दिन ये पूजा होती है। इन्हें शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। आपको बता दें कि इस बार शीतला सप्तमी 14 मार्च और शीतला अष्टमी 15 मार्च को मनाई जाएगी।

इस विधि से करें पूजा

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  • व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके इस मंत्र मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धियेशीतला सप्तमी/अष्टमी व्रतं करिष्ये व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद शीतला माता की पूजा करें। उन्हें जल चढ़ाएं, अबीर अर्पित करें, गुलाल, कुमकुम आदि चीजें भी चढ़ाएं। इसके साथ ही खाद्य पदार्थ, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं और फिर मां की परिक्रमा करें।
  • इस दौरान इस बात का खास ध्यान रखें कि शीतला माता की पूजा में दीपक न जलाएं और न ही अगरबत्ती जलाएं. ऐसा करने से इसलिए मना किया जाता है कि देवी शीतला ठंडी प्रवृति की होती हैं ऐसे में इनके पूजन में दीपक का प्रयोग वर्जित होता है।
  • पूजा के बाद शीतला स्तोत्र का पाठ करें। शीतला माता की कथा सुनें। दिनभर शांत भाव से सात्विकता पूर्ण रहें. इस दिन व्रती को और परिवार के किसी भी सदस्य को गर्म भोजन नहीं करना चाहिए।