शीत लहर से बचाव से लिए क्या करें और क्या न करें, स्वास्थ्य अधिकारी ने बताए इसके उपाय

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उज्जैन। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.संजय शर्मा ने बताया कि वर्तमान में शीत ऋतु में शीत-घात (शीत लहर) की वजह से अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इन समस्याओं को समय से पूर्व बचाव कर लिया जायें तो इस प्राकृतिक विपदा का सामना किया जा सकता है। स्थानीय मौसम पूर्वानुमान के लिए रेडियो, टीवी एवं समाचार पत्र जैसे सभी मीडिया द्वारा जारी जानकारी का अनुसरण करें। पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े पहनें।

नियमित रूप से गर्म पेय पीते रहें। शीत लहर के समय विभिन्न प्रकार की बीमारियों की संभावना अधिक बढ़ जाती है, जैसे- फ्लू चलना, सर्दी, खांसी एवं जुकाम आदि के लक्षणों हो जाने पर चिकित्सक से संपर्क करें। अल्प तापवस्था के लक्षण जैसे- सामान्य से कम शरीर का तापमान, न रूकने वाली कंपकपी, याददाश्त चले जाना, बेहोशी या मूर्छा की अवस्था का होना, जबान का लड़खडाना आदि प्रकट होने पर चिकित्सक से संपर्क कर उपचार प्राप्त करें।

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पर्याप्त मात्रा में गर्म कपड़े जैसे- दस्ताने, टोपी, मफलर, एवं जूते आदि पहनें। शीतलहर के समय चुस्त कपड़े न पहने यह रक्त संचार को कम करते है, इसलिये हल्के ढीले-ढाले एवं सूती कपड़े बाहर की तरफ एवं ऊनी कपड़े अंदर की तरफ पहनें। शीत लहर के समय जितना संभव हो सके घर के अंदर ही रहें और कोशिश करें कि अतिआवश्यक हो तो बाहर यात्रा करें। पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्वों से युक्त भोजन ग्रहण करें। शरीर की प्रतिरक्षा बनाए रखने के लिए विटामिन ‘सी’ से भरपूर फल और सब्जियां खायें एवं नियमित रूप से गर्म तरह पदार्थ अवश्य पीयें।

अत्यधिक ठंड के समय दीर्घकालीन बीमारियों जैसे- डायबटीज, उच्च रक्तचाप, श्वास संबंधी बीमारियों वाले मरीज, वृद्ध पुरूष/महिलाएं जिनकी आयु 64 वर्ष से अधिक, छह वर्ष से कम आयु के बच्चे, गर्भवती महिलाएं आदि को ऐसी स्थिति में देखभाल करें। अधिक ठंड पड़ने पर पर्याप्त वेंटिलेशन होने पर ही रूप हीटर का उपयोग करें। अधिक ठंड पड़ने पर जहां तक संभव हो पालतू जानवरों को घर के अंदर ही रखें।

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अत्यधिक ठंड पड़ने से प्रभावित शरीर के हिस्से पर मालिश न करें इससे अधिक नुकसान पड़ सकता है। शीत लहर में अधिक ठंड के लम्बे समय तक सम्पर्क में रहने से त्वचा कठोर एवं सुन्न कर सकती है। शरीर के अंगो जैसे- हाथ/पैर की उंगलियों, नाक एवं कान में लाल फफोले हो सकते है। शरीर के भाग के मृत हो जाने पर त्वचा का लाल रंग बदलकर काला हो सकता है। यह बहुत खतरनाक है और गैंग्रीन रोग कहा जाता है। इसके लिए तत्काल चिकित्सक से परामर्श लें।