मोघे को उपचुनाव की जवाबदारी नहीं दिए जाने का मतलब क्या है

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मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव हो विधानसभा चुनाव हो स्थानीय निकाय चुनाव हो या उपचुनाव हो भाजपा के पूर्व प्रदेश संगठन मंत्री, पूर्व सांसद और इंदौर के पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे को कोई जवाबदारी न दी जाए ऐसा हो नहीं सकता है। लेकिन इस बार ऐसा हुआ है। प्रदेश में खंडवा लोकसभा उपचुनाव पृथ्वीपुर , रैगांव ,जोबट में विधानसभा उपचुनाव को लेकर प्रदेश संगठन द्वारा हाल ही में अलग-अलग भाजपा नेताओं को अलग-अलग क्षेत्रों की जवाबदारी दी गई है। लेकिन इनमें इस बार मोघे का नाम नहीं है। राजनीतिक गलियारों में इसे आश्चर्य से देखा जा रहा है। क्योंकि प्रमुख रूप से मोघे को चुनावी समीकरण जमाने में माहिर माना जाता हैं। उनके समर्थक भी यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर इस बार साहब को कोई जवाबदारी क्यों नहीं दी गई।

लेकिन राजनीतिक जानकार बताते हैं कि  मोघे खंडवा लोक सभा क्षेत्र से प्रमुख दावेदारों में शामिल हैं। इसके चलते इस बार प्रदेश भाजपा संगठन द्वारा उन्हें किसी तरह की जवाबदारी नहीं दी गई है। कोई जवाबदारी नहीं देकर प्रदेश संगठन ने उनकी खण्डवा लोकसभा क्षेत्र से दावेदारी को और पक्का कर दिया है। माना जा रहा है कि स्वर्गीय नंदकुमार सिंह चौहान के पुत्र और इस लोकसभा क्षेत्र से प्रमुख दावेदार पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस के बीच इस तरह से तलवारे खींची हैं कि इसका फायदा  मोघे को मिल सकता है। मोघे पूर्व में खंडवा लोकसभा क्षेत्र से लगे हुए खरगोन लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी रह चुके हैं और उनके संपर्क खंडवा लोकसभा क्षेत्र में भी काफी गहरे हैं। जिसे प्रदेश का भाजपा संगठन नजरअंदाज नहीं कर सकता।