इंदौर में जन्मी भारतरत्न लता मंगेशकर का कोरोना के कहर में भारतवासियों के प्राण बचाने के लिये क्या योगदान है?

Ayushi
Published on:

अनिलकुमार धड़वईवाले

विश्व्यापी कोरोना महामारी के दूसरी महा भयावह लहर में हमारा देश भी बुरी तरह चपेट में है। इस तेजरफ्तार से जानलेवा संक्रमण के दौरान कुछ दिन पूर्व ही ऑक्सीजन के बेहद अभाव के चलते हजारों देशवासियों के तड़फते हुए प्राण पखेरू उड़ गये। इतना ही नही उनके परिवारजनों को दिवंगत सदस्य के अंतिम दर्शन भी नही हो पाये और अंतिम संस्कार के लिये घंटो तक जगह तक नही मिली। बहुत इंतजार करना पड़ा। उस समयावधि में देश के कई नामचीन – बड़े उद्योगपतियों के अलावा कलाकारों ने बहुत बड़ा योगदान देकर अनगिनत पीड़ितों के प्राण बचाये। आज भी दे रहे है।

इसी संदर्भ में मेरे शहर इंदौर में जन्मी भारतरत्न – स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर का नाम मुझे आज तक कहीं दिखाई नही दिया। जिससे मुझे मैं पैदाइशी इंदौरी होने से बेहद दु:ख हो रहा है। क्योंकि करोड़ों रुपयों की चल- अचल संपत्ति की मालकिन लता जी ने आज से इक्कीस साल पहले पुणें में अपने पिता स्वर्गीय दीनानाथ मंगेशकर की याद में दिनानाथ मंगेशकर नाम से एक बडा हॉस्पिटल स्थापन किया था। उन्होंने और परिवारजनों ने मानवसेवा के नाम से, जनसामान्य मरीजों को राहत मिलने का मक्सद बताकर महाराष्ट्र शासन से पुणें के हृदयस्थल में करोड़ों की मूल्यवाली लगभग पच्चीस हजार वर्गफीट ( छह एकर जमीन) का भूखण्ड सिर्फ 99 साल के अनुबंध से 99 रुपये में( अर्थात प्रतिवर्ष एक रुपया) किराये से प्राप्त कर लिया था।

जिसका सीधा मतलब सिर्फ 99 रुपये में 99 साल तक यह भूखण्ड मंगेशकर परिवार की बपौती रहेगी । बेहद ताज्जुब की बात तो यह है कि मंगेशकर परिवार द्वारा राज्य शासन से किये गये करारनामा नुसार मरीजों को मुफ्त तथा सस्ते में उपचार नही करवाये जाने के मामले में पुणे कलेक्टर ने दो साल पहले मंगेशकर परिवार पर सौ करोड़ का जुर्माना किया था। लेकिन आज तक एक पैसा भी जमा नही किया गया है। इस अस्पताल में गरीब – जरूरतमंद- बेसहारा मरीजों को बेड उपलब्ध नहीं है, ऐसा झूठ बोलकर भगाया जाता है। जबकि नियमानुसार निर्धन – असहाय पीड़ितों के लिये मुफ्त और रियायती दरों पर बेड आरक्षित रखना जरूरी है।

इनदिनों मंगेशकर परिवार ने ये अस्पताल किसी स्वास्थ संस्था को किराये पर दिया हुआ है। परंतु हकिक़त में उस पर पूरा नियंत्रण मंगेशकर परिवार का ही है। हॉस्पिटल पर लगाये गये सौ करोड़ में से आज तक एक पैसा नही देनेवाली भारतरत्न लता जी भारतरत्न रहते राजनैतिक बयान दे सकती है। किसान आन्दोलन के खिलाफ सार्वजनिक बोल सकती है। मुंबई वासियों के हित मे उनके निवास के पास ओवरब्रिज बनने के निर्णय के विरोध में विदेश में शिफ्ट होने बात कह सकती है। ऐसी भारतरत्न गायिका द्वारा स्वयंस्फूर्त कोरोना कहर में भारतवासियों के प्राण बचाने के लिये मानवियता के नाते कोई योगदान नही देना बहुत ही खटकनेवाली – दु: खद बात है।