केंद्र सरकार के 10000 एफपीओ परियोजना के मध्यावधि मूल्यांकन का क्या हुआ?

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आत्मानिर्भर भारत मे कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने के लिए केंद्र सरकार के 10000 किसान उत्पादक संघठन (एफ़पीओ) गठन परियोजना वर्ष 2020-21 मे प्रारम्भ हुआ था। इसके लिए पाँच वर्षो के लिए लगभग रु 6600 करोड़ का प्रावधान किया गया है और अभी तक लगभग 9000 एफ़पीओ का गठन हो चुका है। परियोजना मार्गदर्शिका के खंड 15.1 के अनुसार परियोजना का चतुर्थ वर्ष (2024) मे मध्य अवधि मूल्यांकन करने की व्यवस्था थी। इस मूल्यांकन की मुख्य ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार की कृषि मंत्रालय की है, जो की कृषि मंत्रालय के एक उपक्रम एसएफ़एसी को दे रखा है।

केंद्र सरकार के 10000 एफ़पीओ परियोजना की वस्तु स्थिति जानने के लिए भोपाल के एक वरिष्ठ एफ़पीओ विशेषज्ञ एवं पूर्व बेंकर शाजी जॉन ने एसएफ़एसी एवं कृषि विभाग से पुंछ ताछ किया, तो कोई जवाब नहीं मिला। उसके बाद उन्होने आरटीआई (सूचना का अधिकार) के माध्यम से जानकारी प्राप्त करने की कोशीश किया तो भी कोई ठोस जवाब नहीं मिला।

शाजी जॉन कई वर्षों से एसएफ़एसी से जुड़े हुए है, और उन्हे मालूम है की एसएफ़एसी 10000 एफ़पीओ के मध्य अवधि मूल्यांकन करने मे पूर्ण रूप से अक्षम है। मार्च 2024 मे इस मूल्यांकन का कार्य शुरू हो जाना चाहिए था, लेकिन अभी तक मूल्यांकन क्या करना है, कैसे करना है कब करना है, कौन करेगा जैसे मूल बिन्दुओं पर कोई चर्चा तक नहीं हुई है।

हकीकत यह है की सरकार का 10000 एफ़पीओ की योजना एसएफ़एसी, नाबार्ड आदि संस्था के नकारेपन के कारण ध्वस्त हई है। यह उम्मीद करना की जिन संस्थाओं ने योजना ध्वस्त किया हो, वो आगे आकार ईमानदारी से योजना का मूल्यांकन करेंगे, एक दिवा-स्वप्न है।

यदि कृषि मंत्रालय और एसएफ़एसी पर मध्य अवधि मूल्यांकन का ज़ोर पड़ेगा, तो जल्दबाजी मे कुछ रिपोर्ट बनाकर दिखा देंगे की मध्य अवधि मूल्यांकन पूरा हो गया है और सब कुछ बढ़िया चल रहा है। और यदि कोई ज़ोर नहीं पड़ता है, तो धीरे धीरे सब भूल जाएंगे की सरकार ने कभी 10000 एफ़पीओ गठन की कोई योजना भी लाई थी।
समस्या सिर्फ मध्य अवधि मूल्यांकन का नहीं है।

मूल समस्या तो यह है की जो 9000 से ज्यादा एफ़पीओ बनने के बाद निष्क्रिय हो गए, उनका क्या करें। इससे पहले भी सरकार के बहुत सारे योजना धरातल पर आने से पहले ढेर हुई है, लेकिन 10000 एफ़पीओ का मामला अलग है। साथ का आज का युग टेक्नालजी का युग है, और गाँव मे भी हर घर मे सोश्ल मीडिया पहुँच गया है। 10000 एफ़पीओ योजना से जुड़े लाखों – करोड़ो किसान परिवार का विश्वास सरकार और सरकार के योजनाओं से उठ जाएगा।

सौभाग्य से शिवराज सिंह चौहान जी के रूप मे हमें एक योग्य कृषि मंत्री मिला है, जिन्होने ने मध्य प्रदेश को देश मे कृषि मे नंबर 1 पर पहुंचाया था। हमे आशा है की वो सरकार की महत्वाकांशा 10000 एफ़पीओ योजना की दुर्दश के बारे मे संज्ञान लेंगे और आवश्यक कदम उठाएंगे, और आदरणीय मोदीजी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को पूरा करने मे योगदान देंगे।