West bengal: अभिषेक बनर्जी को सुप्रीम कोर्ट से झटका, ED के समन के खिलाफ वाली याचिका को किया खारिज

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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टीएमसी के सांसद अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी रुजिरा को अवैध कोयला खनन मामले में उनके खिलाफ जांच के सिलसिले में ईडी के सामने पेश होने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एससी शर्मा की पीठ ने ईडी से सहमति व्यक्त की कि मामले की जांच से दिल्ली में अपराध और अपराधियों के बीच पर्याप्त सांठगांठ स्थापित हुई है और इसलिए उन्हें वहां तलब करना गलत नहीं है।

सितंबर 2021 में ईडी द्वारा तलब किए जाने के बाद दंपति ने अदालत का रुख किया। उन्होंने ईडी के कोलकाता कार्यालय में पूछताछ की इच्छा व्यक्त की क्योंकि वे वहां रहते हैं। पीठ ने ईडी की स्थिति रिपोर्ट का हवाला दिया और कहा कि एजेंसी ने आरोपी के खिलाफ नई दिल्ली की एक विशेष अदालत में शिकायत दर्ज की है। इसमें कहा गया है कि इंस्पेक्टर अशोक कुमार मिश्रा को कथित तौर पर सह-आरोपी अनूप माजी से अपने ष्राजनीतिक आकाओंष् तक पहुंचाने के लिए ₹168 करोड़ मिले थे।

कोर्ट ने कहा कि, 168 करोड़ रुपये वाउचर के माध्यम से दिल्ली और विदेशों में स्थानांतरित किए गए, जिससे स्पष्ट रूप से अपराध और अपराधियों का दिल्ली के क्षेत्र के साथ पर्याप्त संबंध स्थापित हुआ। इसलिए हमें प्रतिवादी ईडी, द्वारा अपीलकर्ताओं को दिल्ली स्थित अपने कार्यालय में बुलाने के लिए जारी किए गए समन में कोई अवैधता नहीं दिखती है, इसमें कहा गया है कि ईडी के दिल्ली कार्यालय का क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार है क्योंकि शिकायत के अनुसार अपराध का एक हिस्सा कथित तौर पर राष्ट्रीय राजधानी में किया गया था।

अभिषेक बनर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत समन को आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि पीएमएलए धारा 50 ईडी को केवल प्रक्रिया निर्दिष्ट किए बिना समन करने की शक्ति प्रदान करती है। उन्होंने तर्क दिया कि सीआरपीसी की धारा 160, जो गवाहों को बुलाने से संबंधित है, महिलाओं के लिए अपवाद है। सिंघवी ने बताया कि रुजिरा को दो नाबालिग बच्चों की देखभाल करनी है और वह इस मामले में आरोपी नहीं हैं।