पश्चिम बंगाल की शेरनी का जन्मदिन आज, जानें अब तक का सफर

Raj
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कोलकाता। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आज जन्मदिन है। ममता बनर्जी को कई लोग बंगाल की शेरनी और ‘दीदी’ के नाम से भी जानते है। आपको बता दे कि, आज पश्चिम बंगाल की सीएम 66 साल की हो गई है उनका जन्म 5 जनवरी 1955 को प्रदेश राजधानी कोलकाता में हुआ था। आपको यह जान कर आश्चर्य होगा की ‘दीदी’ साल 2011 से पश्चिम बंगाल पर राज कर है। ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल की पहिला महिला मुख्यमंत्री हैं और उन्होंने वाम दलों को सत्ता को उखाड़कर बंगाल पर जो राज कायम किया वो एक मिसाल है और अब आने वाले विधानसभा चुनावों के लिए भी उनकी हुंकार विपक्षियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती है।

बता दे कि, साल 1983 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की बैठक के दौरान प्रणब मुखर्जी की ममता बनर्जी से मुलाकात हुई थी। वही उन्होंने ममता में छुपी प्रतिभा को पहचान लिया था। ‘दीदी’ के लिए उनकी राजनीतिक जिंदगी का सबसे अहम पल उस समय तब आया जब जाधवपुर लोकसभा सीट से उनके लड़ने के लिए कांग्रेस पार्टी ने मुहर लगा दी। इस फैसला ने ममता बनर्जी की जिंदगी ही बदल दी। आपको बता दे कि, सीपीएम के सोमनाथ चटर्जी राजनीति के ऐसे दिग्गज व्यक्ति थे जिन्हें हराना किसी भी नए राजनेता के लिए नाममुमकिन ही माना जाता था। लेकिन 1984 के चुनाव में ममता बनर्जी ने जादवपुर लोकसभा सीट से उन्हें हराकर वो कर दिखाया जिससे सभी को हैरान थे। ममता बनर्जी उस समय की सबसे युवा सांसद बनीं।

प्रणब मुखर्जी ने की थी तारीफ

वही, प्रणब मुखर्जी ने खुद उनके लिए कैंपेनिंग में हिस्सा लिया था। ममता बनर्जी की अपने चुनाव के लिए खुद की गई मेहनत को देखकर उन्होंने उसी समय कह दिया था कि, ये लड़की आगे चलकर राजनीति के शिखर पर पहुंचेगी। ममता बनर्जी के कार्य और मेहनत को देखकर प्रणब मुखर्जी ने खुद कहा था कि, वो एक अच्छी लड़की हैं। आज ममता बनर्जी बंगाल की मुख्यमंत्री हैं।

जीवन परिचय

‘दीदी’ के नाम से जानने वाली ममता बनर्जी का जन्म कोलकाता में एक हिंदू बंगाली परिवार में 5 जनवरी 1965 को हुआ था। उनके पिता का नाम प्रोमिलेश्वर बनर्जी था और मां का नाम गायत्री देवी था। सन 1970 में कांग्रेस का हाथ थामकर अपना राजनितिक सफर शुरू किया था जोकि 1997 तक चला। वही 1998 में तृणमूल कांग्रेस के नाम से उन्होंने नई पार्टी बनाई और उसकी अध्यक्ष बनकर साल 2011 में वाम दलों की दशकों पुरानी सत्ता को उखाड़कर पश्चिम बंगाल में नए सूरज का उदय किया।