पितरों के प्रति सम्‍मान प्रकट करने और उनकी आत्‍मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करने का बहुत महत्‍व है.

ऐसा माना जाता है कि इन 15 दिनों में पितृ, पितृलोक से मृत्यु लोक में अपने वंशजों से सूक्ष्म रूप में मिलने आते हैं, उनका सम्‍मान करना, उनके लिए श्राद्ध अनुष्‍ठान आदि करने से वे प्रसन्‍न होते हैं.

इस साल 29 सितंबर से 14 अक्‍टूबर तक पितृ पक्ष रहेगा, इस दौरान घर के बेटे पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान आदि करते हैं.

कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि क्या महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती हैं, तो इसका जवाब है हां वो भी कर सकती है.

घर में अगर बेटा नहीं हो या अन्‍य कारण के चलते भी परिवार की महिलाएं अपने पूर्वजों के सम्‍मान और आत्‍मा की शांति के लिए ये अनुष्‍ठान कर सकती हैं.

इसके लिए उन्‍हें कुछ नियमों का पालन करना होता है, इतना ही नहीं श्राद्ध के अलावा महिलाएं पिंडदान भी कर सकती हैं.

श्राद्ध, पिंडदान जैसे अनुष्‍ठान करते समय महिलाओं को कुछ बातों का ध्‍यान रखना जरूरी है कि जैसे वे इस समय सफेद या पीले रंग के ही कपड़े पहनें.

इसके अलावा बेहतर होता है कि विवाहित महिलाएं ही श्राद्ध करें. पितृ तर्पण करते समय महिलाओं को यह ध्‍यान रखना चाहिए कि वे जल में कुश और काले तिल डालकर तर्पण ना करें.