नरक चौदस या नरक चतुर्दशी का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है.

नरक चतुर्दशी को रूप चौदस, नरक चौदस या काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है.

दीवाली से एक दिन पहले और धनतेरस एक दिन बाद नरक चौदस या नरक चतुर्दशी का त्योहार मनाया जाता है.

हिंदू धर्म में नरक चतुर्दशी का बेहद खास महत्व है, मान्यता है कि नरक चतुर्दशी के दिन घरों में माता लक्ष्मी का आगमन होता है और दरिद्रता दूर होती है.

हिंदू मान्यता के अनुसार, इसी दिन भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने राक्षस नरकासुर का वध किया था. 

वध करने बाद नरकासुर के बंदी गृह में कैद 16 हजार महिलाओं को भी भगवान कृष्ण ने आजाद कराया था.

महिलाओं की मुक्ति के बाद से ही हर साल छोटी दिवाली के दिन नरक चतुर्थी मनाने की परंपरा शुरू हुई.

छोटी दिवाली या नरक चौदस के दिन घरों में दीपक जलाने की परंपरा है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन यमराज के नाम का दीया जलाया जाता है.