हमारे हिंदू धर्म में विवाह एक पवित्र बंधन दुल्हन को दूल्हे के बाईं ओर बैठाने की प्रथा के पीछे धार्मिक, सांस्कृतिक और समाजिक कारण हैं.

हिंदू धर्म में विवाह संस्कारों को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है, विवाह केवल दो व्यक्तियों का संगम नहीं, बल्कि दो परिवारों का भी मेल है.

इसे दिव्य और पवित्र बंधन माना जाता है जो दो आत्माओं को साथ लेकर चलता है.

हिंदू धर्म में विवाह को सात जन्मों तक का साथ माना जाता है, जिसमें पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति समर्थन, प्यार और सम्मान की प्रतिज्ञा करते हैं.

इसमें कई रस्में और रीति-रिवाज शामिल हैं इनमें से एक प्रमुख प्रथा है कि दुल्हन हमेशा दूल्हे के बाईं ओर बैठती है.

इस प्रथा के पीछे कई धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं हैं.

इसके अलावा, दुल्हन को दूल्हे के बाईं ओर ही बैठाने का अभिप्रेत यह भी है कि वह हमेशा दूल्हे के ह्रदय के नजदीक रहे.

शास्त्रों के अनुसार, माता लक्ष्मी, जो समृद्धि की देवी हैं, भगवान विष्णु के बाईं ओर ही बैठती हैं, शादी में दुल्हन को माता लक्ष्मी का रूप माना जाता है