भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा से शुरू होने वाला पितृ पक्ष अश्विनी माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तक माने जाते हैं.

इस दौरान पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है.

पितृ पक्ष के दौरान तीन पीढ़ियों के पितरों का श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है.

इन तीन पीढ़ियों की आत्मा मृत्यु के बाद स्वर्ग और पृथ्वी के बीच पितृ लोक में ही रहती हैं और पितृ पक्ष के दौरान पृथ्वी पर आती है.

इस साल पितृ पक्ष 29 सितंबर यानी शुक्रवार से शुरू हो रहे हैं जो 14 अक्टूबर तक चलेंगे.

महाभारत के अनुशासन पर्व की एक कथा के मुताबिक माना जाता है कि महर्षि निमि ने सबसे पहले श्राद्ध की शुरुआत की थी और उन्हें श्राद्ध का उपदेश अत्रि मुनि ने दिया था.

महर्षि निमि के बाद दूसरे महर्षि भी श्राद्ध कर्म करने लगे जिसके बाद धीरे-धीरे इसका प्रचलन शुरू हो गया.

एक मान्यता ये भी है जब महाभारत के युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने ही कौरव और पांडवों की तरफ से युद्ध में मारे गए सभी लोगों का श्राद्ध किया था.