सनातन धर्म में शंखों को धार्मिक आयोजनों में व‍िशेष माना गया है, इसकी ध्‍वन‍ि जहां तक जाती है वहां तक वातावरण में सकारात्‍मक ऊर्जा का संचार होता है.

महाभारत काल में भी युद्ध की शुरूआत शंखनाद से ही होती थी.

ऐसी मान्यता है कि उस समय भगवान कृष्ण के पास एक खास प्रकार का शंख हुआ करता था, जिसे पाञ्चजन्य कहा जाता है.

ये भगवान विष्णु का शंख है, आज के समय में इस तरह का शंख देख पाना सौभाग्य की बात है और यह सौभाग्य पटना वालों को मिल रहा रहा है.

पटना में एक ऐतिहासिक ठाकुरबाड़ी है, जहां शंखों का संग्रह है, इसी संग्रह में एक पाञ्चजन्य शंख भी है.

पटना के बाकरगंज में मौजूद भीखमदास ठाकुरबाड़ी मंदिर जितना ऐतिहासिक है, इसकी आयु 500 साल से भी ज्यादा है.

यहां अलग-अगल आकार और वजन के हिसाब से कुल शंखों की संख्या 25 है.

ये ठाकुरबाड़ी ऐतिहासिक शंखों के संग्रह के लिए प्रसिद्ध है, यहां 500 साल से भी ज्यादा पुराने शंख रखे हुए हैं.