आज दुनियाभर में बुजुर्गों से लेकर युवाओं और किशोरों तक में अकेलेपन के मामलों में वृद्धि देखने को मिल रही है.

इसके पीछे निजी, पेशेवर और सामाजिक कारण हो सकते हैं, जो चिंता का विषय है.

अकेलेपन के लक्षणों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, नहीं तो यह समस्या गंभीर हो सकती है.

दुनियाभर के लोगों में अकेलेपन यानी सामाजिक अलगाव की समस्या आज के वक्त में काफी ज्यादा देखने को मिल रही है.

कंपटीशन के दौर में काम का बढ़ता दबाव या प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ में पिछड़ जाने को लेकर असुरक्षा की भावना जैसे कई कारण होते हैं जो अकेलेपन को बढ़ा सकते हैं.

वक्त रहते इसके लक्षणों पर ध्यान देना जरूरी होता है, नहीं तो स्थिति गंभीर हो सकती है और व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार भी हो सकता है.

जो लोग अकेलेपन से जूझ रहे हो उनके नींद के पैटर्न में बदलाव हो सकता है, जैसे रात के वक्त सही से न सो पाना या फिर हर समय नींद जैसा महसूस होना.

अकेलेपन की समस्या होने पर लोगों को अक्सर शरीर में कम एनर्जी महसूस होती है और वह किसी भी काम पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं.