इस तपस्या के पुण्य-प्रताप से वेदव्यास को संस्कृत भाषा में प्रवीणता हासिल हुई, उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया और महाभारत, अठारह महापुराणों सहित ब्रह्मसूत्र की रचना की, उनको चारों वेदों का ज्ञान था, इसीवजह वजह से आज के दिन गुरु पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.
इस तपस्या के पुण्य-प्रताप से वेदव्यास को संस्कृत भाषा में प्रवीणता हासिल हुई, उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया और महाभारत, अठारह महापुराणों सहित ब्रह्मसूत्र की रचना की, उनको चारों वेदों का ज्ञान था, इसीवजह वजह से आज के दिन गुरु पूजने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.