हिंदू धर्म में अलग-अलग कार्यों को पूर्ण करने के लिए देवी और देवताओं के अवतार लेने का वर्णन आता है.

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार देवी भवानी अर्थात माता पार्वती अपनी परिचारिकाओं जया एवं विजया के साथ भ्रमण पर निकलीं.

रास्ते में उन्हें मंदाकिनी नदी दिखी तो उसमें स्नान करने की इच्छा हो गई.

जब माता ने जया और विजया से भी स्नान करने को कहा, लेकिन दोनों ने इनकार करते हुए भूख लगने की बात कही.

इस पर माता ने कहा कि वह स्नान करके आती हैं, तब खाने का प्रबंध करेंगी, इसलिए तब तक इंतजार करो.

माता पार्वती काफी देर तक स्नान करती रहीं, इधर दोनों सहचरी भूख से पीड़ित होकर बहुत कमजोर हो गयीं।

माता के स्नान कर आते ही जय और विजया बोली कि मां तो अपने शिशुओं को कभी भूखा नहीं छोड़तीं और भूख लगते ही तुरंत भोजन देती हैं.

ये सुनकर माता भवानी को क्रोध आ गया और उन्होंने अपनी तलवार से अपना सिर काट लिया और कटा हुआ सिर देवी के बाएं हाथ में आ गिरा और धड़ से खून की तीन धाराएं फूटीं.

दो धाराओं को उन्होंने अपनी दोनों परिचारिकाओं की ओर प्रवाहित कर दिया, जिसे पीते हुए जया-विजया प्रसन्न दिखने लगीं और तीसरी धारा जो ऊपर की ओर प्रवाहित थी, उसे स्वयं पीने लगीं.

दशम महाविद्याओं में से एक महाविद्या है देवी छिन्नमस्ता, इनकी पूजा उपासना करने से राज्य, मोक्ष, विजय की प्राप्ति होती है.