दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने जेल से रिहा होने के बाद अपने पहले भाषण में बीजेपी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने तानाशाही को देश के लिए खतरा बताते हुए विपक्षी नेताओं से अपील की कि वे पार्टी के बजाय देश के लिए लड़ें। सिसोदिया ने कहा कि विपक्षी नेताओं को एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए, जिससे अरविंद केजरीवाल को जल्दी से जेल से बाहर लाया जा सके।
भ्रष्टाचार के आरोपों पर प्रतिक्रिया
सिसोदिया ने आरोप लगाया कि सीबीआई और ईडी का जाल भ्रष्टाचार के लिए नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल की दिल्ली में किए गए कार्यों को बदनाम करने के लिए बुना गया है। उन्होंने कहा कि यदि आप देश के किसी भी हिस्से में जाएं, तो लोग केजरीवाल के काम की सराहना करते हैं। सिसोदिया ने अपने 17 महीने के जेल अनुभव को साझा करते हुए कहा कि न्याय मिलने में अपेक्षा से ज्यादा समय लगा, लेकिन उन्होंने ईमानदारी और सच्चाई की जीत की बात की।
सुप्रीम कोर्ट और संविधान के प्रति आभार
सिसोदिया ने अपनी बात में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और सुप्रीम कोर्ट का आभार व्यक्त किया। उन्होंने विशेष रूप से अभिषेक मनु सिंघवी और दयान कृष्णन जैसे वकीलों को धन्यवाद दिया, जिन्होंने उनकी कानूनी लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की भी सराहना की, जिन्होंने भाजपा की धमकियों के बावजूद संघर्ष किया।
शिक्षा और विकास पर जोर
सिसोदिया ने जेल में गीता पढ़ने और अन्य देशों की शिक्षा प्रणालियों पर अध्ययन करने के बाद अपनी संकल्प शक्ति को मजबूत बताया। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए हर बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए। सिसोदिया ने स्पष्ट किया कि शिक्षा और स्वास्थ्य के बिना राष्ट्र का विकास संभव नहीं है।
सिसोदिया ने अपने भाषण में कहा कि भाजपा की कोशिशों के बावजूद दिल्ली की शिक्षा क्रांति को रोका नहीं जा सकता। उन्होंने विपक्षी नेताओं को आतंकवादियों पर लगाए जाने वाले आरोपों से तुलना की और कहा कि उनकी पार्टी भगत सिंह के अनुयायी हैं। सिसोदिया ने वादा किया कि वे डरने के बजाय संघर्ष करेंगे और अपने संदेश को लोगों तक पहुँचाएंगे।